PBK NEWS | नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (AAP) के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने का मामला एक बार फिर चर्चा में है। जहां एक ओर दिल्ली सरकार में संसदीय सचिव बने जिन 21 आम आदमी पार्टी विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटकी है वहीं, 12 AAP विधायकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में ऑफिस ऑफ प्रॉफिट को लेकर चल रही प्रक्रिया को चुनौती दी है। इसी मामले को लेकर इससे पहले आठ विधायक अगस्त महीने की शुुरुआत में इसी मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा चुके हैं।
12 AAP MLAs move Delhi HC to challenge office of profit proceedings. 8 other AAP MLAs had also approached HC earlier this month for the same
— ANI (@ANI) August 25, 2017
इसी साल जून महीने में आम आदमी पार्टी को ‘ऑफिस ऑफ प्रॉफिट’ यानी लाभ के पद मामले में चुनाव आयोग से झटका लगा था। चुनाव आयोग ने 21 विधायकों की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने केस को रद करने की मांग की थी।
इन विधायकों की दलील थी कि दिल्ली हाईकोर्ट उनकी नियुक्ति को अवैध मानते हुए रद कर दिया है तो फिर इस चुनाव आयोग में केस चलाने का कोई आधार नहीं है। वहीं, चुनाव आयोग ने साफ कहा है कि आम आदमी पार्टी के विधायकों के खिलाफ ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला चलता रहेगा।
जानें यह है पूरा मामला
दिल्ली सरकार ने दो साल पहले मार्च, 2015 में आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया था। इसको लेकर प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने सवाल उठाए थे, जबकि इसके खिलाफ प्रशांत पटेल नाम के शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर आरोप लगाया था कि ये 21 विधायक लाभ के पद पर हैं, इसलिए इनकी सदस्यता रद होनी चाहिए।
यहां पर आकर फंस गया पेंच
बता दें कि दिल्ली सरकार ने 21 विधायकों की नियुक्ति मार्च 2015 में की, जबकि इसके लिए कानून में ज़रूरी बदलाव कर विधेयक जून 2015 में विधानसभा से पास हुआ, जिसको केंद्र सरकार से मंज़ूरी आज तक मिली ही नहीं। वहीं, अगर दिल्ली सरकार को लगता था कि उसने इन 21 विधायकों की नियुक्ति सही और कानूनी रूप से ठीक की है, तो उसने नियुक्ति के बाद विधानसभा में संशोधित बिल क्यों पास किया?
इन सभी विधायकों पर लटकी है तलवार
1. आदर्श शास्त्री, द्वारका
2. जरनैल सिंह, तिलक नगर
3. नरेश यादव, महरौली
4. अल्का लांबा, चांदनी चौक
5. प्रवीण कुमार, जंगपुरा
6. राजेश ऋषि, जनकपुरी
7. राजेश गुप्ता, वज़ीरपुर
8. मदन लाल, कस्तूरबा नगर
9. विजेंद्र गर्ग, राजिंदर नगर
10. अवतार सिंह, कालकाजी
11. शरद चौहान, नरेला
12. सरिता सिंह, रोहताश नगर
13. संजीव झा, बुराड़ी
14. सोम दत्त, सदर बाज़ार
15. शिव चरण गोयल, मोती नगर
16. अनिल कुमार बाजपई, गांधी नगर
17. मनोज कुमार, कोंडली
18. नितिन त्यागी, लक्ष्मी नगर
19. सुखबीर दलाल, मुंडका
20. कैलाश गहलोत, नजफ़गढ़
यह भी जानें
-8 सितंबर, 2016 को दिल्ली हाइकोर्ट ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति रद कर दी थी।
-AAP विधायकों के पास संसदीय सचिव का पद 13 मार्च, 2015 से 8 सितंबर, 2016 तक था, इसलिए 20 ‘आप’ विधायकों पर केस चल रहा है।
– राजौरी गार्डन के पूर्व विधायक जरनैल सिंह पर केस नहीं चलेगा, क्योंकि वह जनवरी, 2017 में विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
यह भी आरोप
– दिल्ली विधानसभा में नये रेनोवेट हुए कमरों में टेबल, कुर्सी आदि के लिए दिल्ली विधानसभा ने 13,26,300 रुपये मंजूर किये थे। दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी विभाग ने इस पर 11,75,828 रुपये खर्च किए।
-चार संसदीय सचिवों (संजीव झा, सरिता सिंह, नरेश यादव और जरनैल सिंह) के लिए दिल्ली सचिवालय में केबिन बनाने पर 3,73,871 रुपये खर्च हुए। इसमें 2,22,500 रुपये का सिविल और इलेक्ट्रिकल काम था और 1,51,371 रुपये का फर्नीचर।
-अलका लांबा को सीपीओ बिल्डिंग में दो छोटे कमरे दिए गए, जिसकी रेनोवेशन पीडब्ल्यूडी ने करवाई और बिजली पानी के बिल ‘कला, संस्कृति और भाषा विभाग’ ने दिए।
-आदर्श शास्त्री को 15,479 रुपये डिजिटल इंडिया की मुंबई में एक कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए दिए।
-कुल 9 विधायकों को दिल्ली जल बोर्ड के दफ्तरों में कमरे दिए गएष
-सरिता सिंह और राजेश ऋषि को दो कमरे मिले. प्रवीण कुमार, शरद चौहान, आदर्श शास्त्री, मैदान लाल, नरेश यादव, जरनैल सिंह और मनोज कुमार को एक-एक कमरा दिल्ली जल बोर्ड के दफ्तरों में मिला था।
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