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दस हजार करोड़ में 3 भारतीयों को अंतरिक्ष में पहुंचाएगा गगनयान

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नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने बताया कि 2022 में भारत सिर्फ 16 मिनट में तीन भारतीयों को श्रीहरिकोटा से स्पेस में पहुंचा देगा। उन्होंने बताया कि तीनों स्पेस के ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में 6 से 7 दिन बिताएंगे। राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में के. सिवन ने मिशन पर बातचीत की।
सिवन ने बताया कि इसरो 2022 तक गगनयान को अंतरिक्ष में भेजने की पूरी कोशिश में लगा हुआ है। बता दें कि यह डेडलाइन पीएम मोदी ने ही 15 अगस्त को अपनी स्पीच के दौरान सेट की थी।
सिवन के मुताबिक, एक क्रू मॉड्यूल तीन भारतीयों को लेकर जाएगा, जिसे सर्विस मॉड्यूल के साथ जोड़ा जाएगा। दोनों को रॉकेट की मदद से श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। फिर वह सिर्फ 16 मिनट में बर्थ ऑर्बिट पहुंच जाएगा। मॉड्यूल में मौजूद क्रू सदस्य कम से कम 6 से 7 दिन अंतरिक्ष में ही रहेंगे । उस वक्त में उनपर कुछ माइक्रो ग्रेविटी और वैज्ञानिक परीक्षण किए जाएंगे।
फिर पृथ्वी पर वापसी के लिए ऑर्बिट मॉड्यूल खुद अपनी दिशा में परिवर्तन कर लेगा। सिवन ने बताया कि ‘डू बूस्ट प्रोसेस’ से क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल अलग किए जाएंगे। फिर जब क्रू मॉड्यूल तीनों भारतीयों को लेकर धरती की तरफ वापस आ रहा होगा तो उसका ब्रेकिंग सिस्टम ऐक्टिव हो जाएगा। क्रू मॉड्यूल को अरब सागर में गुजरात कोस्ट के पास उतारने की प्लानिंग है। वहीं, अगर कुछ तकनीकी समस्या आती है तो उसे बंगाल की खाड़ी में उतारा जाएगा। सिवन ने बताया कि सिर्फ 20 मिनट के अंदर तीनों भारतीयों को बाहर निकाल लिया जाएगा।
लोगों को अंतरिक्ष में भेजने से पहले मानवरहित टेस्ट किए जाएंगे। सिवन ने बताया कि पहला मानव रहित फ्लाइट टेस्ट आज से 30 महीने और दूसरा टेस्ट 36 महीने बाद किया जएगा। उसके बाद तकरीबन 40 महीने बाद भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
सिवन ने जानकारी दी है कि यात्रियों के स्पेससूट तैयार हो चुके हैं। उन्हें बेंगलुरु में ट्रेनिंग दी जाएगी और जरूरत पड़ने पर विदेश भी भेजा जाएगा। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा से भी समय-समय पर बातचीत जारी है।
बजट पर बात करते हुए जितेंद्र सिंह ने बताया कि मिशन के लिए 10 हजार करोड़ से कुछ कम रकम दी जाएगी। उन्होंने बताया कि यह बजट बाकी देशों द्वारा मानव मिशन पर खर्च किए गए बजट से काफी कम है। यह बजट इसरो को दिए जानेवाले सालाना 6 हजार करोड़ रुपये के बजट से अलग होगा।

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