नई दिल्ली । अमेरिका-चीन के बीच जारी वैश्विक ट्रेडवार के यूरोपीय और एशियाई महाद्वीपों के देशों में बढ़ते जोखिम के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 72 रुपए प्रति डॉलर के दायरे के स्तर तक लुढ़क सकता है। यूबीएस द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक यदि आने वाले समय में बाजार पर बाहरी दबाव जारी रहता है
और अमेरिकी डॉलर में मजबूती बनी रहती है तो नीति निर्माता अमेरिकी मुद्रा जमा जुटाने का कदम उठा सकते हैं। रुपए को स्थिर रखने की दिशा में यह उनका आखिरी कदम हो सकता है। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके बाद रिजर्व बैंक स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है।
यूबीएस सिक्युरिटीज इंडिया के अर्थशास्त्री तान्वी गुप्ता जैन और रोहित अरोड़ा (रणनीतिकार) द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष के अंत में रुपए पर दबाव होगा लेकिन इससे कहीं अधिक अमेरिकी डॉलर कमजोर रहेगा जो कि रुपए की गिरावट की भरपाई कर देगा। यूबीएस की विदेशी मुद्रा बाजार टीम मानती है कि अमेरिकी वित्तीय गतिविधियों में तेजी और ऊंचे प्रतिफल के बावजूद डॉलर कमजोर रहेगा
और इस वित्त वर्ष की समाप्ति तक डॉलर के मुकाबले रुपए की दर 66 रुपए और 2019- 20 की समाप्ति तक 66.5 रुपए प्रति डालर पर रहने के अपने अनुमान को बरकार रखती है। गौरतलब है कि अमेरिकी डॉलर के समक्ष रुपया इस साल अब तक 8 प्रतिशत गिर चुका है जिससे रुपया अपने समकक्ष देशों की मुद्राओं के समक्ष सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों की भारी निकासी को देखते हुए जानकारों का कहना है कि भारत अपनी बाहरी स्थिति को लेकर संवेदनशील बना रहेगा।
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