PBK NEWS | नई दिल्ली । भारतीय फौज दुनिया की बेहतरीन सेनाओं में से एक है। थल सेना, वायु सेना और नौसेना से लैस भारतीय फौज ने अपनी काबिलियत को दुनिया के सामने पेश किया है। सेना के आधुनिकीकरण को लेकर सरकार नए नए कार्यक्रमों को लॉन्च कर रही है। इस कड़ी में भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी आइएनएस अरिदमन लॉन्च होने के लिए तैयार है। विशाखापत्तनम के शिप बिल्डिंग सेंटर में इसका निर्माण किया जा रहा है। छह से आठ हफ्तों में आइएनएस अरिदमन को पीएम नरेंद्र मोदी देश को समर्पित कर सकते हैं।
आइएनएस अरिहंत और आइएनएस अरिदमन
भारत की इस दूसरी पनडुब्बी के बारे में तब जानकारी सामने आई जब विशाखापत्तनम के शिपयार्ड में अचानक हादसा हो गया। मीडिया के एक वर्ग में जब इस संबंध में खबरें प्रकाशित हो गईं कि इस हादसे से आईएनएस अरिहंत के समुद्री परीक्षण प्रभावित होंगे तो इसका खंडन करने के लिए अधिकारियों ने पुरजोर कहा कि जिस समय यह हादसा हुआ उस समय आईएनएस अरिहंत डाकयार्ड में थी ही नहीं। अधिकारियों ने माना कि यह हादसा बेशक उस डाकयार्ड में एडवांस टैक्नोलाजी वैसल (यह परमाणु पनडुब्बी परियोजना का कूटनाम है) बनते हैं लेकिन हादसे के समय वहां अरिहंत के बजाए कोई और वैसल था।
बाद में इस बात की पुष्टि हुई कि आईएनएस अरिहंत तो समुद्री परीक्षणों के लिए चली गई थी और जिस दूसरे वैसल की बात कही जा रही है वह दरअसल भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी है। बताया जाता है कि हादसा उस समय हुआ जब इस गोदी में पानी के एक गेट का परीक्षण किया जा रहा था। कैसोन नाम की यह फ्रांसीसी गेट प्रणाली पहली बार वहां लगाई जा रही थी जिसमें तीन खांचे होते हैं। दो खांचों को लगाने के बाद तीसरा खांचा वहां उतारा जा रहा था। चालीस फुट ऊंचे और करीब पांच-छह फुट चौडे़ इस विशालकाय गेट के ऊपर नौसेना के अधिकारी और कर्मी खडे़ हुए थे। जब यह गेट लडखडा गया और ये लोग शुष्क गोदी में गिर गए। उसी समय समुद्र का पानी गोदी में छोड़ा जाना था और इस तरह हादसे के शिकार लोगों पर दोहरी मार पड़ गई।
जानकार की राय
Jagran.com से खास बातचीत रक्षा मामलों के जानकार पी के सहगल ने कहा कि हाल के दिनों में भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा हुआ है। आइएनएस अरिहंत के जलावतरण के बाद भारतीय नौसेना पाकिस्तान का बेहतर ढंग से मुुकाबला कर सकती है। हिंद महासागर में भारत की सैन्य सुरक्षा बढ़ेगी और चीन का भी प्रभावी ढंग से मुकाबला किया जा सकता है।
2008 में आइएनएस अरिहंत देश को समर्पित
आईएनएस अरिहंत का जलावतरण 26 जुलाई 2008 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर ने किया था। परंपरागत रूप से नौसेना अपने पोतों का जलावतरण किसी महिला के कर कमलों से ही कराती रही है।
यूं ही नहीं पाक से आगे है भारत
पाकिस्तान ने 70 युद्दपोत समंदर में उतारे हैं, जबकि उसके मुकाबले भारत के पास करीब दो सौ (200) युद्धपोत हैं जो समंदर में दुश्मन पर कहर बरपा सकते हैं। नौ सेना के पास दो-दो एयरक्राफ्ट कैरियर यानी विमान-वाहक युद्धपोत हैं जिससे लड़ाकू विमान उड़ान भर सकते हैं। पाकिस्तान के पास एक भी एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है। भारत के अलावा अमेरिका और इटली ही ऐसे दो देश हैं जिनके पास एक से ज्यादा विमान-वाहक युद्धपोत हैं।
भारतीय नौसेना के पास करीब 200 DESTROYERS, FRIGATES ( फिगेट्स) और CORVETTES ( कॉर्विट्स) जैसे युद्धपोत हैं। भारतीय नौसेना के पास 15 पनडुब्बी हैं। जबकि पाकिस्तान के पास 8 पनड़ुब्बी हैं। समंदर में भारत की एक बड़ी ताकत है।
भारत भी रखता है चीन के सैन्य अभ्यास पर निगाह
जब कभी चीन ‘साउथ चाइना सी’ में इस तरह का अभ्यास करता है तब भारत भी उस पन निगाह रखने के लिए अपनी पनडुब्बी और युद्धपोतों को वहां भेजता है। लेकिन यह सभी कुछ दो देशों के बीच सामान्य हालातों में किया जाता है। लेकिन जंग के माहौल में परिस्थितियां बिल्कुल उलट होती हैं। उनका मानना है कि यदि चीन किसी भी सूरत से भारत के साथ जंग में इलझता है तो हिंद महासागर में मौजूद उसकी पनडुब्बियों और युद्धपोतों को भारत कभी डुबो सकता है।
चीन की रणनीति और राजनीति को करीब से जानने वाले जनरल सहगल ने इस दौरान पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वह चीन की राजनीति और रणनीति को बखूबी जानते हैं। यही वजह है कि उन्होंने चीन को घेरने के लिए वियतनाम से लेकर अमेरिका तक सभी जगहों का दौरा किया है। इसके लिए पीएम मोदी मंगाेलिया तक भी गए। उन्होंने कहा कि चीन के भारत पर भड़कने की वजह यह भी है कि जो कदम उसने भारत को घेरने के लिए उठाए, वही कदम अब भारत ने भी उठाए हैं। इसलिए वह कुछ ज्यादा ही भड़का हुआ है। भारत उसके दुश्मन देशों के साथ जिस तरह के समझौते कर रहा है वह उसके लिए ज्यादा घातक साबित हो सकते हैं।
यहां पर ध्यान देने वाली बात यह भी है कि सिक्किम समेत डोकलाम प्लेट काे चीन लगातार अपना हिस्सा बताता रहा है। इतना ही नहीं अरुणाचल प्रदेश के सीएम को एक बार चीन ने वीजा यह कहते हुए नहीं दिया था कि अपने ही देश में घूमने के लिए उन्हें वीजा की जरूरत नहीं है। चीन की मंशा चिकन वैली को हथियाने की है। यहां के चोला पर चीन ने 1962 से ही कब्जा किया है। वहीं भारत की सेना चुंबी वैली समेत इससे कहीं अधिक ऊंची चोटियों पर बैठी है, जो रणनीति के हिसाब से काफी मजबूत स्थिति है। इसके अलावा चीन की मंशा डोकलाम इलाके में सड़क निर्माण के जरिए सिलिगुड़ी तक जाने की है। वह इसके जरिए पूरे पूर्वी भारत को हड़पने की तैयारी कर रहा है।
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