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किरायेदारों को मकानों के मालिकाना हक में कलेक्टर रेट का पंगा

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pbk news | चंडीगढ़। शहरी निकायों के मकान और दुकानों पर 20 साल से काबिज लोगों को सरकार भले ही मालिकाना हक सौंपने को तैयार हो गई है, लेकिन शर्तों को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। खासकर कलेक्टर रेट के हिसाब से प्रॉपर्टी की कीमत देने पर बहस छिड़ी है। कई शहरों में कलेक्टर रेट बहुत ज्यादा है, जबकि धरातल पर प्रॉपर्टी की कीमतें आधी तक हो चुकी।

कई शहरों में कलेक्टर रेट बहुत ज्यादा, हकीकत में प्रॉपर्टी की कीमतें हो चुकी आधी

दो दिन पहले ही राज्य मंत्रिमंडल ने नगर निगम, नगर परिषद, नगर पालिका व नगर सुधार मंडलों की प्रॉपर्टी पर चल रहे कानूनी झगड़ों को सुलझाने के लिए ऐसी जमीन को पुराने किरायेदारों को ही सौंपने पर मुहर लगाई थी। इस संपत्ति की कीमत कलेक्टर दरों के हिसाब से तय होगी। इसी पर विवाद है। पिछले तीन साल में जमीन और प्रॉपर्टी की कीमतें 50 से 60 फीसद तक नीचे आ चुकी हैं, लेकिन कलेक्टर रेट जस का तस है। लंबे समय से कलेक्टर रेट में 30 से 50 फीसद तक की कमी करने की मांग उठती रही है।

मोटे तौर करीब 40 हजार के आसपास किरायेदार ऐसे हैं जिनको इन मकान और दुकानों की रजिस्ट्री करानी है। योजना का लाभ हासिल करने के लिए इन किरायेदारों को न केवल कोर्ट केस खत्म करने हैं, बल्कि बकाया राशियों का भी भुगतान करना है। ऐसे में कलेक्टर रेट की ऊंची दरें इनका बजट बिगाड़ रही हैं। वह जमीन की वास्तविक कीमत से अधिक देने को कतई तैयार नहीं।

प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने कहा कि सरकार ने कलेक्टर रेट पर प्रॉपर्टी देने की शर्त लगाकर किरायेदारों से मजाक किया हैं। अगर सरकार की मंशा साफ है तो इस प्रॉपर्टी को कलेक्टर रेटों से 60 फीसद कम कीमत पर किरायेदारों को दिया जाए।

सभी विकल्प खुले : कविता जैन

” सरकार ने जनहित में वर्षों पुराने किरायेदारों को जमीन का मालिकाना हक देने का फैसला लिया है। इससे काफी संख्या में लोगों को फायदा होगा। अगर कहीं पर गरीबों को मालिकाना हक लेने में कलेक्टर रेट की अधिक कीमतें आड़े आती हैं तो इस पर विचार करने के लिए सभी विकल्प खुले हैं।

News Source: jagran.com

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