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स्वास्थ्य को लेकर व्यवस्था और वातावरण तैयार करें सरकार

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केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, जिस तरह वे चिकित्सा-व्यवस्था को निजी क्षेत्र के भरोसे छोड़ रही हैं और स्वास्थ्य बजट में कटौती कर रही हैं, उसी का नतीजा है कि निजी अस्पताल बेलगाम होते जा रहे हैं। वे सोचते हैं कि सरकारें कुछ भी करें, मरीजों के पास उनकी तरफ रुख करने के अलावा कोई चारा नहीं है। सरकार अगर सचमुच गंभीर है और चाहती है कि फोर्टिस जैसी घटना फिर न दोहराई जाए तो उसे चाहिए कि ऐसी व्यवस्था और वातावरण तैयार करे, जिसमें कोई अस्पताल मानकों को तोड़ने की जुर्रत न कर सके।

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