PBK NEWS | नई दिल्ली: भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने नेट न्यूट्रैलिटी (नेट निरपेक्षता) के हक में अपनी सिफारिशें दी हैं. ट्राई ने कहा है कि इंटरनेट की आजादी बनी रहनी चाहिए. लाइसेंस में संशोधन हो और किसी भी ग्राहक से भेदभाव नहीं होना चाहिए. ट्राई ने कहा है कि किसी को भी प्राथमिकता नहीं है. उन्होंने कहा है कि बुनियादी सिद्धांत है कि इंटरनेट एक खुला मंच.
आपको बता दें कि इस मुद्दे पर ऑपरेटरों और ऐप प्रदान करने वालों के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है. खास बात ये है कि ट्राई की ये सिफ़ारिशें ऐसे वक्त में आई है जब नेट न्यूट्रैलिटी पर दुनिया भर में बहस छिड़ी हुई है. अभी भारत में नेट न्यूट्रैलिटी को लेकर कोई कानून नहीं है और भारतीय लोग अपने इस अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, जबकि कई देश नेट निरपेक्षता के पक्ष में कानून बना चुके हैं.
क्या है नेट न्यूट्रैलिटी?
– इंटरनेट के कंटेट बिना भेदभाव के मिले
– हर कंटेट के लिए एक ही शुल्क
– बिजली, पानी की तरह इंटरनेट हो मूलभूत सुविधा
– खास कंपनियों को तेज़ सर्विस पर रोक
– अभी अलग-अलग सेवा के लिए अलग-अलग चार्ज
– सर्फ़िंग, व्हाट्सएप, स्काइप, वाइबर के लिए अलग रेट
दूसरे देशों में क्या है नियम?
– अमेरिका: ओबामा के वक़्त नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में क़ानून
– ट्रंप सरकार नेट न्यूट्रैलिटी के पर कतरने के पक्ष में
– चिली: 2010 में नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में क़ानून
– चिली नेट न्यूट्रैलिटी पर क़ानून बनाने वाला पहला देश
– नीदरलैंड में भी नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में क़ानून
– नीदरलैंड ऐसा करने वाला यूरोप का पहला देश
– 2012 से साउथ कोरिया में भी नेट न्यूट्रैलिटी पर क़ानून
नेट न्यूट्रैलिटी क्यों है ज़रूरी?
– कानून के अभाव में टेलिकॉम कंपनियों की मनमानी
– नेट न्यूट्रैलिटी से ऑनलाइन सेंसरशिप से बचाव
– कानून बनने से मूलभूत अधिकार बनेगा इंटरनेट
News Source: khabar.ndtv.com
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