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नियमों के खिलाफ चलने वाले अस्पतालों पर नकेल कसे सरकार

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हमारे देश में निजी अस्पतालों में मरीजों की लूट-खसोट, इलाज में कोताही और मनमानापन कोई नई बात नहीं है। गुरुग्राम के नामी अस्पताल फोर्टिस ने सात साल की एक डेंगू-पीड़ित बच्ची के इलाज का सोलह लाख रुपए का बिल उसके परिजनों को थमाया। दूसरी तरफ, इलाज कैसा हुआ? उस बच्ची की मौत हो गई! यह वाकया निजी अस्पतालों की कारस्तानी की मिसाल है। ऐसी जाने कितनी घटनाएं रोज-ब-रोज निजी अस्पतालों में दोहराई जाती हैं, लेकिन प्रभावशाली लोगों के संरक्षण की वजह से किसी का कुछ नहीं बिगड़ता।

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