गुड़गांव, 13 जनवरी (अजय) : यह उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के अंतरराष्ट्रीय व्यवसाय में भारत ने एक तिहाई बाजार पर अपना कब्जा कर लिया है। इस उड़ान में सर्वप्रमुख उपग्रह था काटरेसेट-2 श्रृंखला का नवीनतम उपग्रह काटरेसेट-2 एफ जिसका भार 710 किलोग्राम था। काटरेसेट श्रृंखला का यह सातवां उपग्रह था। इसके साथ इसरो के ही दो और उपग्रह थे-100 किलोग्राम वजनी माइक्रो सैट और 11 किलोग्राम वजनी आइएनएस-1सी यानी इंडियन नैनो सैटेलाइट। इस उड़ान में इन उपग्रहों को दो भिन्न-भिन्न ध्रुवीय कक्षाओं में स्थापित करना था। यह एक चुनौती थी, लेकिन इसरो के कर्मठ इंजीनियरों ने इस मिशन को कुशलतापूर्वक अंजाम दे दिया।
2018 की शुरूआत में ही देश के अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों ने देशवासियों को गर्व करने का एक अवसर प्रदान कर दिया है. आंध्रप्रदेश के श्रीहरिकोटा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपना 100वां सैटेलाईट लांच किया है. पीएसएलवी सी-फोर्टी अपने साथ सबसे भारी कार्टोसैट 2 सीरीज के उपग्रह के अलावा 30 दूसरी सैटलाइट भी अंतरिक्ष में ले गया है इस बार इसरो ने एक साथ 31 सैटेलाईट लांच किये जिनमें 28 विदेशी ग्राहकों के है. इसरो के वैज्ञानिक एएस किरण ने बताया कि पिछले पीएसएलवी लॉन्च के दौरान हमें समस्याएं हुईं थी और आज जो हुआ है उससे यह साबित होता है कि समस्या को ठीक से देखा गया और उसमें सुधार किया गया. देश को इस नए साल का उपहार देने के लिए शुभकामनाएं
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