नई दिल्ली । प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) दीपक मिश्रा को पद से हटाने का महाभियोग नोटिस अस्वीकार किए जाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। चीफ जस्टिस के खिलाफ राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव की मंजूरी के लिए कांग्रेस सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची। पांच सदस्यीय संविधान पीठ इस मामले पर मंगलवार को सुनवाई करेगी। कांग्रेस के दो सांसदों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर राज्यसभा के सभापति और देश क उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के सीजेआइ दीपक मिश्रा के खिलाफ सांसदों द्वारा दिए गए महाभियोग नोटिस को अस्वीकार करने के आदेश को चुनौती दी है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने देर शाम पीठ और उसके पांच जजों का चयन कर लिया है। इस पीठ में वो चार वरिष्ठ जज शामिल नहीं हैं, जिन्होंने 12 प्रेस कांफ्रेंस कर चीफ जस्टिस मिश्रा पर अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। संविधान पीठ में जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस एमवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल शामिल हैं।
प्रताप सिंह बाजवा और एमी हर्षद राय याजनिक राज्यसभा से कांग्रेस सांसद हैं। इन्होंने अपनी याचिका में कोर्ट से कहा है कि उपराष्ट्रपति नायडू को अभियोग प्रस्ताव पर कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया जाए। याचिका में सभापति के आदेश को मनमाना व गैरकानूनी बताते हुए रद करने की मांग की गई है। कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल व प्रशांत भूषण ने दूसरे नंबर के वरिष्ठतम न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर की अदालत में याचिका का जिक्र करते हुए मामले को सुनवाई पर लगाने का आदेश मांगा।
मालूम हो कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के 64 सांसदों ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर कदाचार के आरोप लगाते हुए उन्हें पद से हटाने के लिए राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू को महाभियोग नोटिस दिया था। लेकिन सभापति ने गत 23 अप्रैल को नोटिस अस्वीकार कर दिया था।
चुनौती का कोई कानूनी आधार नहीं: भाजपा
कांग्रेस सांसदों के सुप्रीम कोर्ट जाने पर सीनियर एडवोकेट व भाजपा नेता अमन सिन्हा ने कहा कि सीजेआइ दीपक मिश्रा के खिलाफ अभियोग के नोटिस को खारिज किए जाने को लेकर दिए जाने वाले राज्यसभा अध्यक्ष के नोटिस को चुनौती देने का कोई कानूनी आधार नहीं। राज्यसभा अध्यक्ष का निर्णय उचित था। अभियोग की नोटिस में दर्ज एक-एक मामले पर उन्होंने सही तरीके से विचार कर निर्णय लिया।
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