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कच्चे तेल की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि होने से मोदी सरकार पसोपेश में

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नई दिल्ली। कच्चे तेल की कीमतों में आई नई तेजी केंद्र सरकार के लिए भारी मुसीबत का सबब बन सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों के 80 डॉलर के पार पहुंचने के साथ ही सरकार के अंदरखाने इस बात की चिंता शुरु हो गई है कि चुनावी साल में इससे आम जनता को और अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए क्या उपाय किये जाए। तेल मार्केटिंग कंपनियां पिछले दो दिनों में पेट्रोल 69 पैसे प्रति लीटर महंगा कर चुकी हैं। अगर आर्थिक एजेंसियों की मानें तो अगले कुछ दिनों में उक्त दोनों उत्पादों की कीमतों में चार रुपये या इससे ज्यादा की वृद्धि भी करनी पड़ सकती है।

महंगे क्रूड से चौतरफा चुनौती

अंतरराष्ट्रीय बाजार में गुरुवार को क्रूड 80 डॉलर प्रति बैरल हो गया है। हालांकि भारत जिन बाजारों से क्रूड खरीदता है वहां औसतन इसकी कीमत 76.43 डॉलर प्रति बैरल रही है जो दिसंबर, 2014 के बाद उच्चतम कीमत है। इरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए माना जा रहा है कि क्रूड आने वाले महीनों में भी महंगा ही होगा। भारत अपनी जरुरत का 85 फीसद क्रूड आयात करता है।

क्रूड में 10 डॉलर की वृद्धि होने पर..

1. पेट्रोल में 5 रुपये तो डीजल में चार रुपये की वृद्धि

2. एयरलाइन किराये में 200 रुपये की औसतन वृद्धि

3. मंहगाई की दर में 0.30 फीसद की वृद्धि

4. जीडीपी की वृद्धि दर में 0.10 फीसद की कमी

5. राजकोषीय घाटे में 0.10 फीसद का इजाफा

क्रूड का महंगा होना सीधे तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। इससे आयात बिल बढ़ता है जिससे चालू खाते में घाटे (आयात पर खर्च विदेशी मुद्रा और निर्यात से प्राप्त विदेशी मुद्रा का अंतर) में वृद्धि होती है जो देश में महंगाई की दर को बढ़ाती है। यूपीए-दो में जब क्रूड 130-140 डॉलर पर चला गया था तब उसे देश में महंगाई की दर के 10 फीसद पार करने के लिए सबसे बड़ी वजह माना गया था।

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में चार रुपये तक की वृद्धि संभव : कोटक सिक्यूरिटीज

पिछले एक वर्ष में क्रूड 52 डॉलर प्रति बैरल से बढ़ कर 80 डॉलर हो चुका है। मोटे तौर पर यह अनुमान है कि क्रूड में 10 डॉलर की बढ़ोतरी भारत के राजस्व घाटे में 0.1 फीसद का इजाफा करता है। साथ ही 10 डॉलर की यह वृद्धि महंगाई की दर में 30 आधार अंकों (0.30 फीसद) की वृद्धि करती है और जीडीपी वृद्धि दर को 0.10 फीसद कम कर देती है।

मोटे तौर पर एक डॉलर की वृद्धि से घरेलू बाजार में पेट्रोल को 50 पैसे प्रति लीटर और डीजल को 40 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी करने की जरुरत होती है। साथ ही क्रूड में 10 डॉलर की वृद्धि से एयरलाइन कंपनियों के लिए हर यात्री के किराये में औसतन 200 रुपये की वृद्धि करना जरुरी हो जाता है। जानकार मान रहे हैं कि वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे पीयूष गोयल ने इस बारे में आला अधिकारियों से विमर्श भी किया है।

पेट्रोल 4 रुपये महंगा करने की दरकार

आर्थिक विषयों पर रिसर्च करने वाली एजेंसी कोटक इंस्टीट्यूशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘आइओसी, एचपीसीएल, बीपीसीएल जैसी मार्केटिंग कंपनियों को औसतन 2.7 रुपये प्रति लीटर की मार्केटिंग मार्जिन हासिल करने के लिए अगले हफ्तों के दौरान पेट्रोल की कीमत में 3.5 रुपये से चार रुपये प्रति लीटर और डीजल में 4 रुपये से 4.55 रुपये तक की वृद्धि करनी पड़ सकती है। इतनी बड़ी वृद्धि इसलिए होगी कि इन कंपनियों ने कर्नाटक चुनाव के दौरान 19 दिनों तक कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है।’ लेकिन कोटक ने यह अनुमान इस उम्मीद पर लगाई है कि डॉलर के मुकाबले रुपया स्थिर रहेगा, लेकिन रुपये में लगातार कमजोरी देखी जा रही है। गुरुवार को एक डॉलर की कीमत 67.70 रुपये थी जो पिछले 16 महीनों का न्यूनतम स्तर है।

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