– एक्सपर्ट्स का कहना इस योजना में कोई बुराई नहीं
नई दिल्ली । मोदी सरकार देश के बड़े एग्जाम संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से 17 मई को यूपीएससी को एक पत्र लिखकर फाउंडेशन कोर्स के नंबरों के आधार पर चयनित आवेदकों को कैडर देने का सुझाव दिया गया है। अबतक यूपीएससी की परीक्षा में अंकों के आधार पर सफल आवेदकों को कैडर आवंटित किए जाते थे। मोदी सरकार के इस कदम की विपक्षी दल काफी आलोचना कर रहे हैं। मोदी सरकार के नए नियम के मुताबिक अब यूपीएससी में टॉप करना आखिरी नियुक्ति का आधार नहीं रह जाएगा, अब कैंडीडेट्स के फाउंडेशन कोर्स के नंबर भी इसके साथ जोड़े जाएंगे,उसके बाद फाइनल रिजल्ट आएगा।
क्या था पहले नियम
मौजूदा नियमों में मुताबिक,यूपीएससी क्लियर करने वाले आवेदकों को आईएएस,आईपीएस, आईएफएस और दूसरे सेंट्रल डिपार्टमेंट में नियुक्त किया जाता है। इसके बाद में उन्हें लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। यहां पर 3 महीने का फाउंडेशन कोर्स होता है। एकेडमी में कई तरह की एक्टिविटी करवाई जाती है,जैसे-पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन,लॉ,पॉलिटिकल साइंस के साथ ही अन्य पाठ्यक्रम गतिविधियां, ट्रैकिंग, गांव का दौरा, अलग-अलग लोगों से पारस्परिक विचार-विमर्श करवाया जाता है। इन सारी एक्टिविटी को मिलाकर कुल 400 मार्क्स इसके लिए हैं।
ये है पीएमओ का नया प्रॉसेस
सरकार चाहती है कि लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में होने वाले फाउंडेशन कोर्स को भी आवेदकों की परफॉर्मेंस में जोड़ा जाए। फाउंडेशन कोर्स में परफॉर्मेंस के आधार पर मिले नंबरों और प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षामें मिले नंबरों को जोड़कर ही सर्विसेज और कैडर अलॉट किए जाएंगे।
वहीं सरकार के इस नए नियम की भले ही राजनीति से जुड़े लोग आलोचना कर रहे हैं लेकिन यूपीएससी फील्ड से जुड़े एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस योजना में कोई बुराई नहीं है क्योंकि सिर्फ इंटरव्यू के आधार पर ही किसी आवेदक को जज करना सही नहीं है, उसकी परफॉर्मेंस को भी देखना जरूरी है। हालांकि मोदी सरकार की यह योजना नहीं है इससे पहले 1989 में इतिहासकार सतीश चंद्रा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने भी इस पर विचार करने को कहा था। तब कमेटी ने कहा था कि आवेदकों के प्रारंभिक परीक्षा,मुख्य परीक्षा के बाद फाउंडेशन कोर्स की परफॉर्मेंस को भी जोड़ा जाए उसके बाद ही आवेदक को सर्विस और कैडर अलॉट किया जाए। लेकिन तब भी यह मामला अधर में रह गया था कियों कि सरकार ने कोई अंतिम फैसला नहीं लिया था।
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