मुंबई । खाद्यान्नों और ईधन की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण मई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई बढ़कर 4.43 फीसदी हो गई, जबकि पिछले साल के इसी महीने में यह 2.26 फीसदी दर्ज की गई थी। इस साल अप्रैल में यह दर 3.18 फीसदी थी।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से गुरुवार को मिली जानकारी खाने-पीने की चीजों की थोक महंगाई दर भी बढ़ी है। मासिक आधार पर मई में खाद्य थोक महंगाई दर 0.67 फीसदी से बढ़कर 1.12 फीसदी रही है। मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 3.11 फीसदी से बढ़कर 3.73 फीसदी रही जबकि प्राइमरी आर्टिकल्स की थोक महंगाई दर 1.41 फीसदी से बढ़कर 3.16 फीसदी रही बिजली एवं ईंधन की थोक महंगाई दर 7.85 फीसदी से बढ़कर 11.22 फीसदी रही है।
मई में अंडों, मांस एवं मछली की थोक महंगाई दर -0.2 फीसदी से बढ़कर 0.15 फीसदी रही जबकि दालों की थोक महंगाई दर -22.46 फीसदी से बढ़कर -21.13 फीसदी रही है। इसी तरह मई में सब्जियों की थोक महंगाई दर -0.89 फीसदी से बढ़कर 2.51 फीसदी रही है। आलू की थोक महंगाई दर 67.94 फीसदी से बढ़कर 81.93 फीसदी वहीं प्याज की थोक महंगाई दर 13.62 फीसदी से घटकर 13.20 फीसदी रही है।
थोक महंगाई आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उद्योग मंडल एसोचैम ने नीति निर्माताओं से पेट्रोल और डीजल कीमतों पर लगाम लगाने की गुजारिश की, ताकि महंगाई काबू में रहे। एसोचैम के महासचिव डी. एस. रावत ने बयान में कहा, “पेट्रोल-डीजल की कीमतों से बढ़ोतरी से उद्योगों की भी लागत बढ़ जाती है, इससे उनकी मुनाफाप्रदता पर असर होने लगता है।”
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