नई दिल्ली । मानसून की शुरुआत के बाद फंगल संक्रमण के मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। फंगस पैदा करने वाले जीवाणु आमतौर पर मानसून के दौरान कई गुना तेजी से फैलते हैं। यह सामान्य तौर पर शरीर के नजरअंदाज किए गए अंगों जैसे की पैर की उंगलियों के पोरों पर, उनके बीच के स्थानों पर या उन जगहों पर जहां जीवाणु या कवक का संक्रमण बहुत अधिक तेजी से होता है,
वहां फैलते हैं। अक्सर मॉनसून के दौरान लोग हल्की बूंदा-बांदी में भीगने के बाद अपनी त्वचा को अनदेखा कर देते हैं। लेकिन यही छोटी सी असावधानी कई बार फंगस से संक्रमित होने का कारण बन जाती है। फंगल संक्रमण से बचने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि आप इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि त्वचा ज्यादा देर तक गीली नहीं रहे।
यह समस्या जुलाई और अगस्त के महीने के दौरान काफी बढ़ जाती है। स्कैल्प में होने वाले फंगल संक्रमण के लक्षण सामान्य फंगल संक्रमण से अलग होते हैं। सामान्यतौर पर यह स्कैल्प पर छोट-छोटे फोड़ों, दानों या चिपचिपी परत के रूप में दिखाई देता है। आपको ऐसा कोई लक्षण नजर आए तो फौरन ही विशेषज्ञ की मदद लें अन्यथा समय पर इलाज नहीं करने पर यह आपके बाल झड़ने का बड़ा कारण बन सकता है।
त्वचा विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या से बचने के लिए खुद को साफ और सूखा रखना आवश्यक है। इसके साथ ही एंटीबैक्टीरियल साबुन के प्रयोग से भी आप खुद को फंगस से संक्रमित होने से बचा सकते हैं। इसके अलावा अपने कपड़ों को नियमित रूप से धोएं। बरसात में अगर आपके कपड़ों में कीचड़ आदि लग जाए तो उसे फौरन धो लें।
इससे फंगल संक्रमण से बचाव में मदद मिलेगी। अगर आपको आपकी त्वचा में कुछ भी अजीब नजर आए तो फौरन किसी अच्छे त्वचा विशेषज्ञ से संपर्क करें, क्योंकि मॉनसून के दौरान त्वचा से संबंधित बहुत सी समस्याओं का जन्म होता है। विशेषज्ञ की राय लें, जिससे फंगल संक्रमण से आप पूरी तरह से मुक्त हो सकें। मानसून भीषण गर्मी से तो हमें राहत दिलाता है, लेकिन बारिश का यह मौसम अपने साथ कई स्वास्थ्य व त्वचा से जुड़ी समस्याएं भी लेकर आता है।
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