नई दिल्ली । भारत सरकार ने आखिरकार नेट न्यूट्रैलिटी को मंजूरी दे दी है। नेट न्यूट्रैलिटी के बाद अब कोई कंपनी इंटरनेट में कोई भेदभाव नहीं कर पाएगी। प्राथमिकता के आधार पर किसी रुकावट को भी ग़ैरकानूनी माना जाएगा। इसके लिए जुर्माना भी लग सकता है और सख़्त कार्रवाई होगी। ये फ़ैसला मोबाइल ऑपरेटरों, इंटरनेट प्रोवाइडर्स, सोशल मीडिया कंपनियों सब पर लागू होगा। इस फैसले के बाद इंटरनेट सेक्टर में मोनोपोली भी संभव नहीं रह जाएगी।
हालांकि रिमोट सर्जरी और स्वचालित कर जैसी कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को नेट न्यूट्रैलिटी नियमों के दायरे से बाहर रखा जाएगा। दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने कहा, ‘‘दूरसंचार आयोग ने ट्राई की सिफारिशों के आधार पर नेट न्यूट्रैलिटी को मंजूरी दे दी। ऐसी संभावना है कि इसमें कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को इसके दायरे से बाहर रखा जा सकता है।’’
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने सेवा प्रदाताओं के बीच ऐसे किसी प्रकार के समझौतों पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की थी जिससे इंटरनेट पर सामग्री को लेकर भेदभाव हो। उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल की मंजूरी के लिये आयोग ने नई दूरसंचार नीति ‘राष्ट्रीय डिजिटल कम्युनिकेशंस पॉलिसी 2018’ को भी मंजूरी दे दी है।
बैठक में शामिल एक अधिकारी ने कहा कि दूरसंचार आयोग ने दिसंबर 2018 तक सभी ग्राम पंचायतों में 12।5 लाख वाईफाई हॉट स्पॉट लगाने को मंजूरी भी दी है। इसके लिये परियोजना को व्यवहारिक बनाने को लेकर करीब 6,000 करोड़ रुपये का वित्त पोषण किया जाएगा।
ट्राई ने कुछ समय पहले नेट न्यूट्रैलिटी की सिफ़ारिश की थी। बुधवार को इस सिफ़ारिश को दूरसंचार आयोग ने मंज़ूरी दे दी है। इस आयोग में अलग-अलग मंत्रालयों के नुमाइंदे शामिल हैं।
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