मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सहकारी बैंकों को बाजार में उतार – चढ़ाव से निवेश पर नुकसान की स्थिति में अपनी रिण शोधन क्षमता को बचाए रखने के लिए निवेश अस्थिरता कोष (आईएफआर) बनाने का निर्देश दिया है। आरबीआई ने अधिसूचना में कहा,
बाजार जोखिमों से बचने के लिये पर्याप्त कोष बनाने के लिये अब से, सभी सहकारी बैंक अब से अपने निवेश की बिक्री के समय होने वाले लाभ से एक आईएफआर कोष का निर्माण करेंगे। सभी शहरी सहकारी बैंकों को अपनी देनदारियों के बावजूद आईएफआर बनाये रखने की जरूरत होगी।
अधिसूचना के मुताबिक, सभी राज्य सहकारी बैंकों और जिला सहकारी बैंकों को भी इसी तर्ज पर निवेश अस्थिरता कोष बनाने की जरूरत होगी। आरबीआई ने कहा है कि उसने सरकारी बांडों का ईल्ड तेजी से बढ़ने (जो बांड की कीमत में तेज गिरावट का नतीजा है) के असर को देखते हुये यह निर्णय लिया है
कि शहरी सहकारी बैंकों (जिनके लिये आईएफआर कोष बनाना अनिवार्य नहीं है) को एएफएस (बिक्री के लिये उपलब्ध) और एचएफटी (कारोबार के लिये उपलब्ध) श्रेणियों के बांड में निवेश में बाजार मूल्य की गणना के हिसाब (एमटीएम) के हिसाब से हुई हानि को जून 2018 तक फैली तीन तिमाहियों में दर्शा कर उसी के अनुसार हानि संबंधी आवश्यक प्रावधान का विकल्प दिया गया है।
बैंक सहकारी बैंकों के प्रदर्शन पर बरीकी से नजर रख रहा है। इस महीने की शुरुआत में आरबीआई ने अपर्याप्त पूंजी के साथ – साथ आय को लेकर अलवर शहरी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया था।
Comments are closed.