गुड़गांव 30 जुलाई (अजय) : नवजन चेतना मंच के संयोजक वशिष्ठ कुमार गोयल ने अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए कहा कि जनतांत्रिक व्यवस्था में अविश्वास प्रस्ताव हमेशा सरकार गिराने के लिए ही नहीं रखे जाते। सच तो यह है कि भारत ही नहीं, दुनियाभर के जनतांत्रिक देशों में अक्सर अविश्वास प्रस्ताव किसी मुद्दे पर सरकार को आईना दिखाने के लिए रखे जाते हैं। विपक्ष की कोशिश रहती है कि वह इस माध्यम से सरकार की कमियों-खामियों को उजागर कर देश की जनता को अपने अनुकूल राय बनाने के लिए प्रेरित कर सके। स्वतंत्र भारत में अविश्वास प्रस्तावों का इतिहास साक्षी है कि एक बार को छोड़कर कभी भी अविश्वास प्रस्ताव के पारित होने से कोई सरकार नहीं गिरी। और इतिहास इस बात का भी साक्षी है कि विपक्ष द्वारा लगभग हर सरकार को इस माध्यम से घेरने की कोशिश की गयी है। भारतीय संसद में पहला अविश्वास प्रस्ताव वर्ष 1963 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ रखा गया था। तब संसद में कांग्रेस का पूर्ण बहुमत था और 1962 की चीन से मिली हार के बावजूद नेहरू की लोकप्रियता ज़्यादा कम नहीं हुई थी। फिर भी, कभी नेहरू के सहयोगी रहे कृपलानी ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव रखा और नेहरू सरकार की खूब आलोचना हुई। परिणाम तो जो निकलना था, वही निकला, पर सरकार को बेनकाब करने का विपक्ष को एक ठोस अवसर अवश्य मिल गया।
नेहरू की तरह ही इंदिरा गांधी भी लोकप्रिय नेता थीं। वस्तुत: उनका कार्यकाल तो नेहरू से भी अधिक रहा। लेकिन उनके खिलाफ पंद्रह बार अविश्वास प्रस्ताव रखे गये। सब जानते थे कि अविश्वास प्रस्ताव विफल होंगे। वैसा ही हुआ भी। पर हर बार विपक्ष सरकार की कमियों-खामियों को उजागर करने में सफल हुआ। लालबहादुर शास्त्री को भी अपने छोटे-से कार्यकाल में तीन बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। नरसिंहराव ने दो बार और राजीव गांधी ने एक बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया। अविश्वास प्रस्ताव मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार के खिलाफ भी रखा गया था लेकिन ऐसे प्रस्ताव से हारी सिर्फ वाजपेयी की एनडीए सरकार, सिर्फ एक वोट से! इतिहास यही बताता है कि अविश्वास प्रस्ताव को जनतंत्र में विपक्ष सरकार के खिलाफ एक अवसर, एक हथियार की तरह काम में लेता है। यह उसका अधिकार भी है और कर्तव्य भी। इसीलिए इस बार जब प्रचंड बहुमत वाली एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा गया तो इस आधार पर इसकी आलोचना नहीं होनी चाहिए कि विपक्ष सरकार को नाहक ही परेशान कर रहा है। इस बात को भी स्वीकार किया जाना चाहिए कि सरकार की कमियों को उजागर करने का विपक्ष ने अच्छा-खासा प्रयास किया।
Comments are closed.