गुड़गांव 14, अगस्त (अजय) : समाचार पत्रों के उदय के साथ इसने एक संस्थागत रूप ग्रहण किया। समाचार पत्रों के माध्यम से नियंत्रित तरीके से सूचनाएं आम लोगों तक पहुंचने लगीं। समाचार पत्रों के बाद रेडियो और फिर टेलीविजन ने इस क्रम को तेज किया। प्रांरभ में टेलीविजन पर सरकारों का नियंत्रण रहा, लेकिन धीरे-धीरे इस माध्यम की कमान निजी हाथों में भी आ गई। इसके चलते सूचनाओं का आदान-प्रदान कुछ लोगों के लिए एक व्यवसाय बना तो कुछ ने इसे सामाजिक चेतना का हथियार बनाया।
यह एक तथ्य है कि अधिकतर समाचार पत्र और टीवी चैनलों का संचालन करने वाले मीडिया समूहों ने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझा और इसके प्रति सचेत रहे कि समाज के लिए उपयोगी सूचनाओं का ही प्रचार-प्रसार हो। कंप्यूटर आने के साथ ही सूचना संसार में एक क्रांति सी आई। इंटरनेट की खोज ने इस क्रांति को नया मुकाम दिया। शुरुआत में कुछ क्षेत्रों और लोगों तक सीमित रहे इंटरनेट को जल्द ही सभी ने अपना लिया। सच तो यह है कि यह सभी की जरूरत बन गया और ज्यादा से ज्यादा लोगों ने उसे अपनी कार्यप्रणाली का हिस्सा बना लिया। इनमें सरकारें और उनका प्रशासनिक तंत्र भी शामिल है।
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