गुड़गांव 9, अगस्त (अजय) : कम्प्यूटर और मोबाइल से आज सूचनाओं और डेटा का आदान-प्रदान काफी सुगम हो गया है. पर आये दिन प्राप्त समाचारों और घटनाओं के आधार पर यह उतना ही जोखिम भरा भी हो गया है. तकनीक में वृद्धि जहाँ लोगों की मदद कर रहा है, वहीं हमारी निजता भी प्रभावित हो रही है. जोकि एक चिंता का विषय है जिसके लिए सरकार को जिम्मेदारी तय करनी की बड़ी जरूरत है
स्मार्ट मोबाइल के कारण और सोशल मीडया के बढ़ते इस्तेमाल से अब कुछ भी गोपनीय नही रह गया है. हमारी निजता और निजता से सम्बंधित डेटा का भी दुरूपयोग होने लगा है. अभी हाल ही में खबर आई कि लोगों के मोबाइल फोन में अचानक भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के नाम से एक टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर सेव हो गया, जिसके बाद से सोशल मीडिया पर हंगामा होने लगा और लोग यूआईडीएआई की आलोचना करने लगे, मगर मोबाइल फोन में यूआईडीएआई के नाम से नंबर सेव होने के मामले में गूगल ने अपनी जिम्मेवारी ले ली है. गूगल ने यह कबूल कर लिया है कि लोगों के मोबाइल फोन में दिखने वाले नंबर में उसकी गलती है. उसकी गलती की वजह से लोगों के फोन में यह नंबर दिखा. इससे पहले यूआईडीएआई के ऊपर सवाल उठ रहे थे, मगर बाद में उसने कहा कि उसने किसी फोन निर्माता या दूरसंचार सेवा प्रदाता को मोबाइल फोन में अपना टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर पहले से डालने के लिए नहीं कहा है. प्राधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि एंड्रायड फोन में पाया जा रहा हेल्पलाइन नंबर 1800-300-1947 पुराना और अमान्य है. इस तरह से हमारे स्मार्टफोन से हमारी निजता गोपनीय न रहना और लिक हो जाना बड़ा और चिंता का विषय है
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