गुड़गांव 20, अगस्त (अजय) : सोशल मीडिया के इस्तेमाल के तौर-तरीके कहीं भी आदर्श रूप में नहीं दिखते, लेकिन यह ठीक नहीं कि भारत इस मामले में सबसे पीछे दिखे। आज जब सोशल मीडिया की गतिविधियों के जरिये देश विशेष का चरित्र चित्रण भी होने लगा है तब फिर यह जरूरी हो जाता है कि इस मंच का इस्तेमाल जिम्मेदारी और सतर्कता से किया जाए। वाट्सएप की मानें तो भारतीय अन्य देशों के लोगों के मुकाबले अधिक संदेश, फोटो और वीडियो अग्रसारित करते हैैं। इसे कोई उपलब्धि कहना कठिन है, क्योंकि कुछ ही समय पहले यह बात सामने आई थी कि भारत में इंटरनेट डाटा की अच्छी-खासी खपत फालतू के संदेश और फोटो भेजने में होती है।
बेहतर होगा कि जहां सरकार की ओर से यह सुनिश्चित किया जाए कि सोशल मीडिया कंपनियां अफवाह और आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार को रोकने के कुछ ठोस उपाय करें वहीं इस नए मीडिया का इस्तेमाल करने वाले भी सजगता का परिचय दें। इस सबके साथ केंद्र और राज्य सरकारों को यह भी समझना होगा कि अफवाहों के प्रसार के लिए सारा दोष सोशल मीडिया पर ही नहीं मढ़ा जा सकता।
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