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समाज सेवा के बिच यौन शोषण चिंताजनक निर्गमन

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गुड़गांव 21, अगस्त (अजय) : बिहार के मुजफ्फरपुर के बाद उत्तर प्रदेश का देवरिया जिन शर्मनाक कारणों से चर्चा में है उससे यही पता चल रहा है कि अपने देश में बालिका अथवा नारी संरक्षण गृह चलाने का काम धूर्त और लंपट किस्म के लोग भी कर रहे हैैं। इससे भी चिंताजनक बात यह है कि ऐसे समाज विरोधी तत्व पहुंच वाले भी साबित हो रहे हैैं। जैसे यह साफ है कि मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह का संचालन एक खराब छवि और दागदार अतीत वाले शख्स के हाथ में था वैसे ही यह मानने के पर्याप्त कारण हैै कि देवरिया के नारी संरक्षण गृह की कमान भी संदिग्ध किस्म के लोगों के हाथ पहुंच गई थी। वे समाजसेवा के नाम पर किस तरह समाज विरोधी काम करने में लगे हुए थे, इसका पता इससे चलता है कि देवरिया के नारी संरक्षण गृह के बारे में लगातार मिल रही शिकायतों के कारण उसे बंद करने के निर्देश देने पड़े थे।

जिले के अधिकारियों ने इस निर्देश की अनदेखी करके नाकारापन का परिचय देने के साथ ही यह संदेह भी पैदा किया कि कहीं उन्होंने ढोंगी समाजसेवियों से साठगांठ तो नहीं कर ली थी? सच्चाई जो भी हो, यह अच्छा हुआ कि उत्तर प्रदेश सरकार ने बिना किसी देरी के देवरिया के जिला अधिकारी समेत अन्य संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्ती दिखाई। और भी अच्छा होगा कि उन्हें उनकी नाकामी के लिए कुछ और दंड दिया जाए। तबादले या निलंबन को यथोचित दंड नहीं कहा जा सकता। समाज और देश को शर्मिंदा करने वाले ऐसे मामलों में सबक सिखाने वाली कार्रवाई की जानी चाहिए-न केवल संरक्षण गृह चलाने वालों के खिलाफ, बल्कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी।

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