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दुनिया को बचाने वाली माता बन जाएगी गाय

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नई दिल्‍ली : वैज्ञानिकों को हाल ही में गाय की एक ऐसी खासियत का पता चला है, जिससे ये दुनिया को बचाने वाली माता बन जाएगी। ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में गाय को बहुत कारगर माना जा रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने बताया है कि गाय को चारे में समुद्री शैवाल खिलाया जाए तो उसके द्वारा मीथेन गैस के उत्सर्जन को काफी कम किया जा सकता है। इससे ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावी तौर पर निपटा जा सकता है।

आपको बता दें कि एक गाय एक दिन में 300 से लेकर 500 लीटर मीथेन गैस निकालती है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इसकी खा‍सियतों का जिक्र करते हुए एक बार स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कहा था कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उसके मांस से 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं। मवेशियों की संख्या के आधार पर भारत दुनिया में शीर्ष पर है।

यहां करीब 31 करोड़ मवेशी हैं। 23,3 करोड़ और 9,7 करोड़ मवेशियों के साथ ब्राजील और चीन क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। अगर दुनिया के सभी देश अपने-अपने यहां जानवरों को इस चारे को देना शुरू कर दें तो मीथेन उत्सर्जन काफी कम किया जा सकता है

अकेला भारत साल भर में जितना ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करता है उनमें उसके मवेशियों से होने वाले उत्सर्जन की हिस्सेदारी आठवां हिस्सा है।अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि गाय के मुख्य आहार में समुद्री शैवाल खिलाने पर मीथेन गैस के उत्सर्जन को 58 फीसद तक कम किया जा सकता है। इस शोध में तीन महीने तक गायों को एसपरागोप्सिस नामक खास समुद्री शैवाल का चारा खिलाया गया। इस आहार को ग्रीन फीड नाम दिया गया है।
पर्यावरण के लिए मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड से 28 गुना ज्यादा खतरनाक है। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान के मुताबिक जानवरों में मीथेन उत्सर्जन कम करने के लिए कुछ हर्बल उत्पत्ति के कई यौगिकों की पहचान की जा चुकी है। हालांकि दुनिया का सबसे बड़ा मवेशी पालक देश होने के बाद भी भारत में इस तरह की कोई योजना या पहल शुरू नहीं की गई है।

वैज्ञानिक शोधों से पता चला है कि गाय में जितनी सकारात्मक ऊर्जा होती है उतनी किसी अन्य प्राणी में नहीं। गाय की पीठ पर रीढ़ की हड्डी में स्थित सूर्यकेतु स्नायु हानिकारक विकिरण को रोककर वातावरण को स्वच्छ बनाते हैं। यह पर्यावरण के लिए लाभदायक है।

वैज्ञानिक कहते हैं कि गाय एकमात्र ऐसा प्राणी है, जो ऑक्सीजन ग्रहण करता है और ऑक्सीजन ही छोड़ता है, जबकि मनुष्य सहित सभी प्राणी ऑक्सीजन लेते और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं। पेड़-पौधे इसका ठीक उल्टा करते हैं। दरअसल जानवरों के पाचनतंत्र में शरीर के अंदर रूमेन (प्रथम अमाशय) होता है।

ये फाइबर वाले आहार घास-फूस को छोटे टुकड़ों में बांटकर चारा पचाने में मदद करता है। इस प्रक्रिया में जानवरों के शरीर से डकार में मीथेन के सम्मिश्रण वाली गैस निकलती हैं। भारत में व्यापक स्तर पर समुद्र तट है, जहां इन समुद्री शैवालों को उगाया जा सकता है। इसके लिए अलग से जमीन, ताजे पानी या उर्वरक की आवश्यकता नहीं है।

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