[post-views]

पेट्रोल के बढ़ते दामों पर मौन क्यों केंद्र सरकार : वशिष्ठ गोयल

47

गुड़गांव 11 सितम्बर (अजय) : नवजन चेतना मंच के संयोजक वशिष्ठ कुमार गोयल ने पेट्रो पदार्थों के बढ़ते दामों पर चिंता जताई है उन्होंने कहा कि देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगभग रोज ही नए रेकॉर्ड बना रही हैं। हैरत की बात यह है कि सरकार और सत्तारूढ़ दलों में इस सवाल पर गजब की निश्चिंतता दिख रही है। समय-समय पर केंद्र सरकार का कोई मंत्री आकर ज्ञानवर्धन कर जाता है कि ऐसा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की चढ़ी कीमतों की वजह से हो रहा है। जब-तब उसके श्रीमुख से डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव गिरने का जिक्र भी सुनने को मिल जाता है। लेकिन इस बारे में सरकार की कोई जवाबदेही बनती है या नहीं, और वह इस बाबत कभी कुछ करने की सोचेगी भी या नहीं, इस बारे में कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है।

 विपक्षी पार्टियां भी अभी तक इस मसले को प्रभावी ढंग से उठाने में नाकाम रही हैं। बहरहाल, देश के राजनीतिक हलके को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों का लोगों पर कोई असर नहीं हो रहा। लोकतंत्र में निरंतर तकलीफ बर्दाश्त करते लोगों का धैर्य कब जवाब दे जाएगा, कहा नहीं जा सकता। और यह मामला सिर्फ मिडल क्लास की भावनाओं का नहीं है।

 पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी आग किन-किन सेक्टरों को झुलसा रही है, इसका अंदाजा सरकार को जरूर होगा। डीजल की महंगाई खेती-किसानी का भट्ठा तो बिठा ही रही है, यह ट्रकों का चलना मुश्किल बना रही है और रेलवे का बजट भी बिगाड़ रही है। ऐसे में सरकार सिर्फ यह कहकर हाथ नहीं झाड़ सकती कि फ्यूल की कीमतें अब सरकार नहीं, ऑयल मार्केटिंग कंपनियां तय करती हैं। सच्चाई यह है कि इन चीजों की जो कीमत हम चुका रहे हैं, उसका बहुत बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकारों की जेब में जा रहा है।

Comments are closed.