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मालदीव में अब्दुल्ला की पराजय भारत के लिए शुभ संकेत

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नई दिल्ली :  मालदीव में मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन की पराजय ने अप्रत्याशित रूप से भारत के लिए शुभ संकेत पैदा कर दिए हैं. सोमवार को प्राप्त चुनाव परिणाम के मुताबिक मालदीव में विपक्षी उम्मीदवार इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने निवर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन गयूम को हरा दिया है।

ऐसे में भारत ने विपक्षी दलों की जीत पर अपनी खुशी जताने में देरी भी नहीं दिखाई। सोमवार को जैसे ही तस्वीर साफ हुई कि मालदीव में प्रजातंत्र की वापसी हो रही है, विदेश मंत्रालय ने तुरंत नतीजों का स्वागत किया। इसके साथ ही पीएम मोदी ने फोन कर इब्राहिम मोहम्मद को जीत की बधाई दी।
विदेश मंत्रालय की ओर से बयान में कहा गया कि भारत उम्मीद करता है कि वहां का चुनाव आयोग जल्द से जल्द आधिकारिक रूप से नतीजों की पुष्टि करेगा। बयान में कहा गया कि यह चुनाव मालदीव में सिर्फ लोकतांत्रिक ताकतों की जीत को ही नहीं दर्शाता बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और कानूनी शासन की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। साथ ही भरोसा दिलाया गया कि ‘पड़ोसी प्रथम’ की नीति को ध्यान में रखते हुए मालदीव के साथ संबंध और बेहतर होंगे।
ज्ञात रहे कि राष्ट्रपति यामीन ने जब पांच फरवरी को देश में आपातकाल की घोषणा की थी तब भारत और मालदीव के संबंधों में तनाव आ गया था। इसके बाद देश के उच्चतम न्यायालय ने विपक्षी नेताओं के एक समूह को रिहा करने का आदेश दिया था। इन नेताओं पर चलाए गए मुकदमों की व्यापक आलोचना हुई थी।

भारत ने आपातकाल लगाने के लिए यामीन सरकार की आलोचना की थी और उससे राजनीतिक कैदियों को रिहा करके चुनावी और राजनीतिक प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता बहाल करने को कहा था। आपातकाल 45 दिनों के बाद हटा लिया गया था।
एक विश्लेषण के अनुसार विपक्षी दलों की जीत न सिर्फ भारत से संबंध बल्कि डेमोक्रैसी को भी मजबूत करने वाली है लेकिन जब तक नई सरकार का गठन नहीं हो जाए तब तक निवर्तमान राष्ट्रपति यामीन के अगले कदम के प्रति आश्वस्त नहीं होना चाहिए।

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