PBK News : देश में बढ़ते वीआइपी कल्चर पर अंकुश लगाते हुए मोदी सरकार ने सभी नेताओं, जजों तथा सरकारी अफसरों की गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने का निर्णय लिया है। इनमें राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जज, राज्यों के मुख्यमंत्री व मंत्री, सभी सरकारी अफसरों के वाहन शामिल हैं। अब केवल एंबुलेंस, फायर सर्विस जैसी आपात सेवाओं, पुलिस व सेना के अधिकारियों के वाहनों पर नीली बत्ती लगेगी। यह फैसला एक मई से लागू होगा।
बुधवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, इस ऐतिहासिक निर्णय में कैबिनेट ने आपात सेवाओं को छोड़ सभी वाहनों से बीकन बत्तियां हटाने का निश्चय किया है। इसके लिए संबंधित नियमों में संशोधन होगा। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि इस फैसले की अधिसूचना जनता से राय के बाद जारी की जाएगी। करीब दस दिन पूर्व बांग्लादेश की पीएम की अगवानी करने प्रधानमंत्री मोदी बिना किसी रूट के नियमित ट्रैफिक में एयरपोर्ट गए थे। शायद उस वक्त तक उन्होंने वीआइपी कल्चर पर अंकुश का निर्णय ले लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में लाल बत्ती को स्टेटस सिंबल बताते हुए कहा था कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों तथा एंबुलेंस, फायर सर्विस, पुलिस तथा सेना को छोड़ किसी को भी लाल बत्ती लगाने की जरूरत नहीं। 2015 में केंद्र को विशिष्ट व्यक्तियों की सूची में कटौती को कहा था। फैसले के बाद मंत्रियों ने अपनी गाड़ियों से लाल बत्ती हटाना शुरू कर दिया। नितिन गडकरी ने सबसे पहले ऐसा किया। गिरिराज सिंह व उमा भारती को भी बत्ती हटाते देखा गया। उप्र के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी कारों से लाल बत्ती हटाने का एलान किया
source by : d.jagran
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