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बीमारी देकर सांस छीन रही खराब हवा, 23 प्रतिशत मौतें इसी वजह से

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नई दिल्ली : कई मेट्रो शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण भारत के लिए समस्या बनता जा रहा है। इसके कारण ही देश में सांस संबंधी बीमारियों और इनके कारण होने वाली मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2018 के मुताबिक देश में होने वाली संक्रामक बीमारियों में सांस संबंधी बीमारियों का प्रतिशत सबसे ज्यादा 69 प्रतिशत है।

इनके कारण होने वाली मौतों की संख्या भी सबसे अधिक 23 प्रतिशत है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल की मानें तो वायु प्रदूषण के बाद दूसरे नंबर पर जो बीमारी है वह है, डायरिया। डायरिया के कारण होने वाली कुल मौतों में इसका योगदान 10 प्रतिशत का है। हाल के सालों में सरकार की ओर से किए स्वास्थ्य पर किए जाने वाले खर्च में बढ़ोतरी हो रही है और यह कुल जीडीपी का 1.28 प्रतिशत हो गया है।
हेल्थ प्रोफाइल के अनुसार देश में संक्रामक रोगों में सांस की बीमारियां समस्या बनती जा रही हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि देश में बढ़ता वायु प्रदूषण सांस की बीमारियों में बढ़ोतरी की मुख्य वजह बन रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कुछ समय पहले भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण और इसके कारण सांस की बीमारियों पर चिंता जाहिर की थी।

संक्रामक रोगों से होने वाली मौतों की दूसरी वजह निमोनिया है। इसके कारण भी 23 प्रतिशत मौतें हो रही है। इसके बाद स्वाइन फ्लू देश में संक्रामक रोगों के कारण होने वाली मौतों की बड़ी वजह है। इसके कारण 16 प्रतिशत लोगों की जान जा रही है। डायरिया 10 फीसदी मौतों की वजह बन रहा है।

एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम 7 प्रतिशत मौतौं की वजह बन रहा है तो इंसेफ्लाइटिस 4 प्रतिशत की। इसके अलावा वायरल हेपेटाइटिस 4 प्रतिशत मौतों की वजह बन रहा है। अन्य संक्रामक रोगों के कारण 9 प्रतिशत मौतें हो रही हैं।

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