लंदन। दुनिया में हेपेटाइटिस-बी से ग्स्त लोगों की संख्या 30 करोड़ है, लेकिन 20 से सिर्फ एक व्यक्ति ही इसका उपचार करा पाता है। द लेंसेट गेस्ट्रोएन्ट्रोलॉजी और हेप्टोलॉजी की एक रिपोर्ट के अनुसार हेपेटाइटिस-बी के वायरस से ग्रस्त मां से बच्चों को होने वाले हेपेटाइटिस-बी की संख्या 100 में एक है, लेकिन अगर इसका इलाज नहीं किया जाए तो इससे लिवर की बीमारी और कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है। दुनिया में हेपेटाइटिस-बी के चलते हर साल 6 लाख लोग असमय मौत का शिका हो जाते हैं।
हालांकि, हेपेटाइटिस-बी की जांच का विकल्प 1970 से उपलब्ध है, लेकिन इसके बाद भी 10 में एक को ही इस बीमारी के बारे में पता चल पाता है। इसका वायरस बहुत ही जल्दी दूषित खून से फैलता है। यह अक्सर मां से बच्चों में फैलता है। इसका कोई इलाज नहीं है पर इसे होने से रोका जा सकता है। इसके बचाव के लिए टीका लगाना जरूरी है, जो कि 1980 से उपलब्ध है। 1992 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने बच्चे के जन्म के 24 घंटों के अंदर इसका टीका लगाना अनिवार्य किया है। इसके बावजूद आधे बच्चे इससे वंचित रह जाते हैं।
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