गुड़गांव, 9 फरवरी (अजय) : सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं पर किए जा रहे खर्च वाले बजट पर अब तमाम तरह के सवाल का निशान खड़े होने शुरू हो चुके हैं। सरकार द्वारा भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के दावे किए जा रहे हो, लेकिन अस्पताल में आने वाले मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने से मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है। जिससे सरकार की कार्यशैली पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं और यह सवाल नव जन चेतना मंच के संयोजक वशिष्ट कुमार गोयल ने खडे करते हुए कहा कि आज प्रदेश की जनता स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर त्राहि-त्राहि कर रही है। शहर के सामान्य अस्पताल तथा ग्रामीण क्षेत्र में स्थित सरकारी डिस्पेंसरी में लोगों को सामान्य सेवा ही देने में डॉक्टर नाकाम साबित हो रहे हैं। डॉक्टरों का अस्पताल व डिस्पेंसरी में लेटलतीफी होना तथा अस्पताल में मुख्य दवाइयां ही उपलब्ध नहीं होना मरीजों के साथ एक बड़ा धोखा हो रहा है। जिन स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति सरकार बेहतर सुविधाएं देने का दावा करती हो, उन स्वास्थ्य सेवाओं की हवा सरकार के द्वारा बनाए सरकारी अस्पताल तथा डिस्पेंसरी में हवा निकलती हुई दिखाई दे रही है। अस्पताल में आने के बाद मरीजों को तरह-तरह के टेस्ट के लिए बाहर के लिए सुझाव दिए जाते हैं। वही 70 प्रतिशत से ज्यादा की दवाइयां मरीजों को मजबूरी में बाहर मेडिकल स्टोर से उचित दामों पर खरीदने को मजबूर होना पड़ता है या फिर यूं कहा जाए कि सरकारी अस्पताल के रेफरेंस से आज मरीजों को बाहर बैठे दवाइयों के कारोबारियों की जेब भरने का काम करना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार को इस मामले पर सख्ती दिखाते हुए बड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और आम जनता को स्वास्थ्य सेवा मुहिया कराने में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
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