गुरुग्राम (अजय) : सुप्रीम कोर्ट के फेसले में मध्यस्ता से राम मन्दिर मामले को सुलझाने का फेसला उचित है जोकि देश हित में है पहले के मुकाबले आज देश में इस मामले को सुलझाने में सभी धर्म के लोग आगे आकर इस मसले के पक्षधर नजर आ रहे है
हरियाणा डेयरी डेवलपमेंट के चेयरमेन जी.एल.शर्मा, जिला परिषद चेयरमेन कल्याण चौहान, किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष समय सिंह भाटी, पूर्व सरपंच सतीश कन्हई, ग्रीवेंस कमेठी सदस्य गजराज दायमा, ओ.बी.सी. मोर्च प्रदेश सचिव उषा प्रियदर्शी, पूर्व सरपंच रामबीर भाटी, आप नेता बीरू सरपंच कहते है कि दशकों से अदालत की चौखट पर घूम रहे राजनैतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद का बातचीत के जरिए सुलह का रास्ता तलाशने में कोर्ट की भूमिका से अब इसका रास्ता निकलता हुआ साफ़ दिख रहा है। और वह सुप्रीम कोर्ट के इस फेसले का वह स्वागत करते है कि उन्होंने कमेठी गठित कर मध्स्यता से इस मामले को सुलझाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद का बातचीत के जरिए हल ढूंढ़ने के लिए मामला सेवानिवृत न्यायाधीश फकीर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल को भेज दिया है। मध्यस्थता पैनल को मामला सुलझाने के लिए आठ सप्ताह का वक्त दिया गया है। हालांकि कोर्ट ने पैनल से चार सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट मांगी है। मध्यस्थता पैनल में आध्यात्मिक गुरू श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू सदस्य होंगे। इसके अलावा कोर्ट ने पैनल को जरूरत के हिसाब से और सदस्य शामिल करने की भी छूट दी है।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण व एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने शुक्रवार को दिये। कोर्ट ने गत 26 फरवरी को मामला बातचीत के जरिए हल करने के लिए मध्यस्थता को भेजने का प्रस्ताव दिया था। कोर्ट ने कहा था कि जब तक अनुवाद की जांच होकर मामला सुनवाई के लिए तैयार होता है, उस बीच आठ सप्ताह में मध्यस्थता के जरिये इसे हल करने की कोशिश की जा सकती है।
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