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सुशांतलोक में स्कूल की जमीन जबरन लेने में विफल हुई एसोसिएशन

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गुड़गांव (अजय) : अंसल की जमीन पर स्कूल निर्माण रोकने के लिए सुशांतलोक फेज वन की लॉर्ड कृष्णा रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों की शिकायत झूठी साबित हुई। इस बारे में डायवर्स लर्निंग सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अरुण अरोड़ा ने बताया कि सुशांत लोक फेज वन में अंसल की सोसायटी है, उसके साथ ही लॉर्ड कृष्णा सोसायटी है, लॉर्ड कृष्णा वेलफेयर एसोसिएशन का अंसल की सोसाइटी से कोई लेना देना नहीं है, बावजूद इसके कुछ शरारती तत्वों ने वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ मिलकर अंसल की जमीन पर स्कूल निर्माण रोकने के लिए कुछ दिनों पहले फॉरेस्ट विभाग में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने का झूठा हवाला देकर जमीन पर स्कूल निर्माण रोकने का प्रयास किया। इस मामले में फॉरेस्ट विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच की जिसमें शिकायत को झूठा बताया। एसोसिएशन की शिकायतों के बाद हम अदालत की शरण में गए थे, अदालत ने स्थगन आदेश देते उक्त एसोसिएशन के किसी भी तरह के दखल करने पर रोक लगा दी। अदालती आदेश के बाद डीसी के आदेश पर ड्यूटी मजिस्ट्रेट और पुलिस की मदद भी उन्हे स्कूल निर्माण कराने के लिए मिल गया है। अरुण अरोड़ा ने बताया कि उन्होंने अंसल से स्कूल निर्माण के लिए वर्ष 2017 में 1 एकड़ जमीन ली थी, लेकिन लॉर्ड कृष्णा वेलफेयर एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों की निगाह इस जमीन पर थी, जो पहले अंसल ग्रुप से सस्ते दामों पर जमीन लेना चाहते थे। अंसल ने जमीन स्कूल के नाम पर दे दी तो वे झूठे आरोप लगाकर जमीन को जांच और अदालती फेरे में फंसाने का प्रयास करने लगे थे, लेकिन उनके इन सभी मंसूबों पर उस समय पानी फिर गया जब वे खुद स्कूल के लिए जमीन पर पूर्ण कब्जा करने के लिए अदालत में गए। उन्होंने बताया कि अदालत ने कंट्री एवं ट्राउन विभाग की सभी कागजातों को सही ठहराते हुए न्याय दिलाया है। अरुण अरोड़ा ने बताया कि वे जल्द ही इस जमीन पर एक अच्छे स्कूल का निर्माण कराने की प्लानिंग कर रहे हैं, जिससे कि अंसल सोसाइटी में और आसपास की सोसाइटी में रहने वाले छात्रों को अच्छी शिक्षा मिल सके। उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि जिस तरह से पर्यावरण की झूठी शिकायत देकर एक एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा उन्हें परेशान किया गया, उसको देखते हुए प्रशासन को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे कि भविष्य में कोई भी एसोसिएशन का पदाधिकारी अपने निजी स्वार्थों के लिए एसोसिएशन का नाम खराब ना कर सके और दोबारा से किसी आम आदमी को इस तरह से परेशान न कर सके।

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