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मंडलायुक्त राजीव रंजन करेंगें 27 एकड़ रजिस्ट्री घोटाले की जांच

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गुरुग्राम (अजय) : वजीराबाद तहसील में मैन्युअल रजिस्ट्री का मामला सामने आया है। मामला सामने आते ही प्रदेश सरकार ने जांच की जिम्मेदारी मंडलायुक्त राजीव रंजन को सौंप दी है। कई साल से पूरे प्रदेश में ई-रजिस्ट्री की सुविधा उपलब्ध है। मैन्युअल रजिस्ट्री उसी स्थिति में की जाती है जब पार्टी चलने-फिरने में पूरी तरह असमर्थ हो। बताया जाता है कि पिछले महीने 24 दिसंबर को अर्पणा ट्रस्ट की 27 एकड़ जमीन चार कंपनियों के नाम मैन्युअल रजिस्ट्री वजीराबाद के नायब तहसीलदार ने कर दी। जब छानबीन की गई तो पता चला कि जिला उपायुक्त कार्यालय ने 16 दिसंबर को मैन्युअल रजिस्ट्री करने की अनुमति दी थी। हालांकि 22 दिसंबर को अनुमति वापस ले ली गई थी। जांच से सामने आएगा कि मैन्युअल रजिस्ट्री की अनुमति किस आधार पर दी गई थी, अनुमति देने के बाद 22 दिसंबर को वापस क्यों ली गई थी, जब अनुमति वापस ले ली गई थी फिर वजीराबाद के नायब तहसीलदार ने किस आधार पर मैन्युअल रजिस्ट्री कर दी इस बारे में नायब तहसीलदार राजेश कुमार का कहना है कि उन्हें अनुमति लिखित रूप से दी गई थी लेकिन अनुमति वापस लेने की जानकारी न ही लिखित और न ही उन्हें फोन करके दी गई। फोन करके भी अनुमति वापस लेने की जानकारी उन्हें दी जाती तो मैन्युअल रजिस्ट्री नहीं की जाती। अनुमति दिए जाने के कई दिन बाद तक उन्होंने रजिस्ट्री नहीं की ताकि किसी भी स्तर पर चूक न हो। जब पता चला कि जमीन से संबंधित कोई मामला कहीं लंबित नहीं है फिर रजिस्ट्री की। उन्हें सीधे फोन करके भी कह दिया जाता तो वह रजिस्ट्री नहीं करते। इस बारे में जिला राजस्व अधिकारी बस्तीराम का कहना है कि नायब तहसीलदार को अनुमति वापस लिए जाने की सूचना दी गई थी। जहां तक मैन्युअल रजिस्ट्री का सवाल है तो उसे रद कर दिया जाएगा। गलत तथ्य के आधार पर यदि कोई रजिस्ट्री कराता है तो रजिस्ट्रार को रद करने का अधिकार है।

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