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लाला रामदेव के नाम खुला पत्र : डॉ. नरेश

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महोदय सादर प्रणाम!

लाला रामदेव न तो आप आयुर्वेद पद्धति में कोई योग्यता रखते हैं और न ही आप योग शिक्षा के जनक,हां प्रपंच खडा करने,मुद्दे से बात हटाकर दूसरे के धर्म, संस्कृति पर आघात करने में जरूर आपने महारत हासिल कर रखी है, और आपके इसी ? सदगुण की वजह से आप विशेष राजनीतिक लोगों की आंख के तारे हो।
इस देश के हर परिवार में हमारी माताएं, बहनें हमारे बुजुर्गों की वजह से हर घर में नैचुरोपैथी, होम्योपैथी, आयुर्वेदिक और योग से जुडे नुस्खे हमारी दिनचर्या का हिस्सा हैं।
रही बात आयुर्वेद और एलोपैथी की तो हम सभी प्रशिक्षित चिकित्सक एक दूसरे की पद्धति का सम्मान करते हैं…और जरूरत पडने पर आपस में सहयोग करते हैं। किसी एलोपैथी चिकित्सक ने किसी भी दूसरी पैथी का तिरस्कार नहीं किया है।पर क्योंकि आप बाबा का आवरण पहने व्यापारी हैं तो आप अपनी प्रपंच कला से एक सनसनीखेज ब्यान देकर सस्ती लोकप्रियता और अपने व्यापार को बढाना चाहते हैं, और इस बात का ही हमें दुख है कि कुछ न्यूज चैनल जो आपके द्वारा मोटी धनराशि से प्रायोजित रहते हैं, वह भी इसमें हिस्सेदार बन गए हैं। आप बात आयुर्वेद की करते हैं लेकिन सभी रोगों का नाम अंग्रेजी में लेते हैं, जबकि आयुर्वेद में हर बीमारी का अपना नाम करण है।
रही बात आपके 25 सवालों की,यह भी आपकी प्रपंच कला का एक हिस्सा है…क्योंकि जो रोग आपने इस प्रश्नावली में गिनाए हैं, वह सब लाइफस्टाइल डिसीज हैं, जिसके लिए एलोपैथी चिकित्सक भी दवाएं लिखकर मरीज को सैर,योग आदि की सलाह देता है।
लाला जी मेरा भी आपसे एक सवाल है कि जो आप अपने शुरू के दिनों में नाखून रगडकर बाल काले करने की सलाह देते थे, वह आपने स्वयं क्यूँ बन्द कर दिया या आपकी यह रिसर्च फेल हो गई?
अंत में रही बात सर्वशक्तिमान बनने की तो यह बात आप पर ही खरी उतरती है,शिक्षा आपके पास एक पद्धति की नहीं और टीवी पर गारंटी योजना से आप दुनिया के सारे रोगों का इलाज करने में लग जाते हो।
लाला जी जरा अपने जमीर को जगाओ और आपके आश्रम में कार्यरत प्रशिक्षित हमारे आयुर्वेदिक चिकित्सकों को शर्मिंदा मत करो, साथ ही जो महर्षि पतंजलि के नाम से आपने यह आश्रम और बाद में व्यापार खडा कर लिया उसकी भी कुछ लाज रख लो।

ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे!

डॉ(एलोपैथी) नरेश शर्मा

गुरूग्राम।

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