सरकार की नई गाइडलाइंस के अनुसार गुरुग्राम में शाम 5 बजे के बाद शराब की दुकानें खोलने की अनुमति नही है। वही शाम 5 बजे के बाद भी शराब के बार हत्ते और रेस्टोरेंट खुलने का आज सेकड़ों शराब कारोबारियों ने जमकर विरोध किया और आबकारी एवं जिला उपायुक्त कार्यालय में विरोध जताते हुए अधिकारीयों को ज्ञापन सौपते हुए अपनी मांगे रखी। मानेसर क्षेत्र में कल शाम 5 बजे जब पुलिस द्वारा शराब की दुकानें बंद कराने पहुंचे तो शराब कारोबारियों ने इसका विरोध किया, जिसके बाद आज रणनीति बनाते हुए सभी शराब कारोबारी एकत्रित हुए और जिला प्रशासन को अपना विरोध जता ज्ञापन सौपा। शराब कारोबारियों ने कहा कि सरकार शत प्रतिशत ठेकों की फ़ीस ले रही है व दुकानों का समय 5 बजे तक कर दिया गया है, जिससे शराब कारोबारियों को बड़ा नुकशान उठाना पड़ रहा है और 10 प्रतिशत बिक्री भी ठेकेदारों के पास नहीं आ रही है। जिससे उनको घाटा पहुँच रहा है। इसके चलते वह आज एक्साइज विभाग को अपनी दुकानें बंद करके चाबी सौपने आये है। दुकानों पर सेल नही होने के चलते शराब कारोबारी सरकार की शत प्रतिशत फ़ीस केसे भर सकते हैं। एक शराब ठेकेदार रोहित यादव ने बताया कि शराब की लगभग सभी दुकान स्टैंडअलोन कैटेगॉरी में आती है। शाम 5 बजे बंद होने से 10 प्रतिशत बिक्री भी दुकानों पर नही हो पा रही है, फ़ीस किस प्रकार वह सरकार को शत प्रतिशत फ़ीस भर सकते है। सभी ठेकदार लॉकडाउन तक दुकानें पूर्णरूप से बंद करने को तैयार है, यदि सरकार उनकी फ़ीस माफ़ करे तो उन्हें भी राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि शाम 5 बजे दुकान बंद होने से शराब की अवैध बिक्री करने वालों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे नक़ली शराब भी बिकेगी और वह लोगों के स्वास्थ्य पर और बुरा प्रभाव पड़ेगा। रोहित ने कहा कि जब शहर में बार और होटल 11 बजे तक खुल सकते है तो शराब की दुकानें क्यों नही खुल सकती। सरकार से मांग है कि जब तक शराब की दुकानें बंद रहेगी उतने समय तक की उनकी फ़ीस माफ़ की जाए। इस विषय में जिला उपायुक्त यश गर्ग ने कहा कि नियमानुसार गुरुग्राम में दुकानें, मार्किट माल्स व अन्य संस्थान समय सीमा के अनुसार ही खुलेगी, यदि सरकार की तरफ से कोई गाइडलाइन्स बदलेगी तो सभी को राहत दी जायेगी। गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता सुभाष बोकन ने कहा कि सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार व्यवस्था बनाना पुलिस का काम है, जिस पर पुलिस कार्य गम्भीरता से कार्य कर रही है। शराब की दुकानें 5 बजे के बाद खुलवाने एवं बंद कराने की अनुमति जिला उपायुक्त के पास होती है।
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