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धूमधाम से अशोका स्कूल बादशाहपुर में मनाया पृथ्वी दिवस : शशि यादव

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बादशाहपुर, 21 अप्रैल (अजय) : पृथ्वी दिवस वार्षिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। 22 अप्रैल को दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के लिए आयोजित किया जाता है। 1970 से हर साल 192 देश एक साथ 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मना रहे हैं। इस दिन को जैव विविधता के नुकसान, बढ़ते प्रदूषण जैसे पर्यावरणीय मुद्दों को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। गुरुग्राम के सेक्टर-67 में स्थित अशोका इंटरनेशनल स्कूल के प्रांगण में भी आज पृथ्वी दिवस का आयोजन किया गया। विश्व पृथ्वी दिवस पर इस साल कोविड-19 महामारी के बाद भी इसे मनाने में उत्साह की कमी नहीं हैं। इस बार पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र को फिर से कायम करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। पृथ्वी दिवस के इस मौके पर विद्यालय में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सभी छात्र छात्राओं ने इस में बढ़ चढ़कर भाग लिया। सभी विद्यार्थियों ने अपना बेहतर प्रदर्शन दिखाया। इस दौरान सभी कक्षाओं में शिक्षकों द्वारा बच्चों को पौधों और जल के महत्व के बारे में बताया गया। विद्यालय के प्रांगण में शिक्षकों द्वारा बच्चों को पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार बनाने के लिए पौधारोपण भी कराया गया तथा सभी ने पर्यावरण संरक्षण से वातावरण को साफ और प्रदूषण रहित बनाने के लिए प्रण लिया। विद्यालय की कोर्डिनेटर अनुपमा ने सभी कक्षाओं में जाकर बच्चों का उत्साह बढ़ाया तथा उन्हें पर्यावरण के महत्व के बारे में बताया। नर्सरी विंग के छोटे-छोटे बच्चों ने भी पृथ्वी तथा पेड़ पौधों के चित्रों में रंग भर के अपना प्रदर्शन दिखाया। विद्यालय की मुख्याध्यापिका शशि यादव ने भी बच्चों को बताया कि पृथ्वी एक महत्वपूर्ण ग्रह है, इसकी स्वच्छता एवं सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने के लिए पृथ्वी दिवस संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है। यदि हम प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करेंगे तो निश्चित ही हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो जाएगा। यह धरा हमारे लिए स्वर्ग से भी बढ़कर है। विद्यालय के चेयरमैन अशोक यादव ने भी बच्चों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया तथा प्लास्टिक और पॉलिथीन का कम से कम इस्तेमाल करने पर जोर दिया। पृथ्वी दिवस एक ऐसा दिन बनकर आता है जब सारी दुनिया जीवन का आधार बनी धरती की चिंता करती है। क्योंकि पृथ्वी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। परंतु जिस प्रकार आज मनुष्य अपनी जरूरतों की पूर्ति करने के लिए जंगलों और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है। उससे मानव जीवन पर संकट आना निश्चित है। यदि इस संकट से बचना है तो जैव विविधता और पारिस्थितिक तंत्र के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता है। क्योंकि यह बात बिल्कुल स्पष्ट है यदि धरती है तो जीवन है और जीवन है तो हम हैं और हम है तो कल है।

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