बादशाहपुर, 5 दिसम्बर (अजय) : ताजमहल के वास्तविक निर्माण और स्कूलों की किताबों में पढाये जाने वाले इतिहास में तथ्यों की गलत जानकारी को लेकर हिन्दू सेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए ताजमहल निर्माण के इतिहास को दुरुस्त कराने की मांग की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिककर्ता सुरजीत सिंह यादव की याचिका आज खारिज कर दी और ताजमहल के वास्तविक इतिहास का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग से इसके बारे में बात कीजिय। उक्त विषय में जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता सुरजीत यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष हिन्दू सेना ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जस्टिस एम आर शाह और सी टी रविकुमार की पीठ ने उन्हें कहा कि इसकी जानकारी के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई से संपर्क करें।
सुरजीत यादव ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में ताजमहल की सही उम्र का निर्धारण करने और मुगल युग के स्मारक के निर्माण के पीछे छिपे ऐतिहासिक तथ्यों को सामने लाने की मांग की थी। याचिका में ये भी कहा गया था कि स्मारक से पहले वहां क्या निर्माण मौजूद था इस के बारे में पता लगाने के आदेश जारी किए जाएं।
सुरजीत यादव ने बताया कि उन्होंने पुरातत्व विभाग में आर.टी.आई. लगाई थी, पुरातत्व सर्वेक्षण से उन्होंने आर.टी.आई. में पूछा था कि ताजमल किसने बनवाया, कितने समय में बनवाया, कितने पैसों में बनवाया इस बात का कोई सबूत नही है, यह अनुसंधान का विषय है इसलिए यह सूचना के अधिकार में नही आता। सुरजीत ने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण ने आर.टी.के जवाब से यह शाबित कर दिया कि ताजमहल किसने बनवाया और कितने समय में बनवाया इसका कोई पुख्ता शबूत नही है। ताजमहल के इतिहास को लेकर किसी के पास कोई स्पष्ट विचार नहीं है। यह ताजमहल तो जयपुर के कछवाहा राजपूतों के राजघराने राजा मानसिंह का महल था। इसकी हकीकत सामने आनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह जल्द पुरातत्व विभाग एवं पुरातत्व विभाग के मंत्री से मिलकर इस मामले को उठायेगें। इसकी सच्चाई के लिए हिन्दू सेना आखिरी तक लड़ाई लड़ेगी।
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