बादशाहपुर, 5 जनवरी (अजय) : सर्दी के मौषम में लोग सर्दी से बचने के लिए अपने कमरे में कोयल एवं लकड़ी की आग जलाकर जहां राहत पाने का प्रयास करते है ऐसे में यही जलाई गई अलाव काफी बार लोगों के मौत का कारण बन रही है। गुरुग्राम एवं बहादुरगढ़ में ऐसे अभी हालही में दो उधाहरण देखने को मिले है, जहां लोग अपने घरो में कमरे के भीतर अलाव जलाकर सोये तो सुबह तक आग के धुएं से दम घुटने की वजह से उनकी जान जा चुकी थी। गुरुग्राम में एक कोठी में सहायक के रूप में काम करने वाले एक व्यक्ति की मौत हो गई तो वही महिला सहायिका की हालत गम्भीर बताई जा रही है। ऐसा ही एक मामला हरियाणा के बहादुरगढ़ से सामने आया है जहां दम घुटने से तीन कामगरों की मौत हो गई। दरअसल, इन तीनों कामगारों की जान ठंड से बचने के चक्कर में हुई है। यह तीनों अपने कमरे में ठंड से बचने के लिए अलाव जलाकर सो रहे थे। बंद कमरे में ऑक्सीजन की कमी से अलाव बुझ गया और पूरे कमरे में धुंआ फैल गया, धुंआ इतना ज्यादा था कि तीनों कामगारों की रात में सोने के दौरान दम घुट कर मौत हो गई।
डॉक्टर सुझाव :
इस विषय में डॉ. मोहित लाठर का कहना है कि कोयले की अंगीठी से कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस बनती है, यह जहरीली गैस होती है। इससे लोग नींद के दौरान बेहोश हो जाते हैं। कई बार तो इस गैस से जान भी चली जाती है। यह गेस खून में घुल जाती है और शरीर में आक्सीजन की मात्रा कम कर देती है। कमरे में हीटर चलाकर नही सोना चाहिए तो वही अलाव जलाकर तो बिलकुल भी नही।
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