[post-views]

भारत विश्व स्तर पर पेट्रोकेमिकल के लिए नया गंतव्य देश बनने की राह पर है: डॉ. मनसुख मांडविया

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने एशिया पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन 2023 की, की अध्यक्षता

75

नई दिल्ली, 20 मई। केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने एशिया पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन 2023 की अध्यक्षता करते हुए कहा, “भारत वैश्विक स्तर पर पेट्रोकेमिकल्स का नया गंतव्य देश बनने की राह पर है। हमारी व्यापार-अनुकूल नीतियों के कारण, दुनिया भारत को एक विश्वसनीय भागीदार और निवेश के लिए प्राथमिकता वाले गंतव्य देश के रूप में देखती है।” कार्यक्रम में केंद्रीय आवास और शहरी कार्य तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी भी उपस्थित थे। इस आयोजन का विषय था “सतत भविष्य की शुरुआत।“ सम्मेलन में सात सदस्य देशों के प्रतिनिधियों; यूरोप, चीन, अमेरिका, मध्य पूर्व और अन्य एशियाई देशों के प्रतिभागियों; प्रमुख देशों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों तथा क्षेत्रीय और वैश्विक भागीदारों समेत लगभग 1200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

माननीय प्रधानमंत्री के आह्वान, ‘मेक इन इंडिया और मेक फॉर वर्ल्ड’ को याद करते और इसे दोहराते हुए डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि भारतीय रासायनिक विनिर्माण उद्योग वास्तव में पेट्रोकेमिकल्स के उभरते वैश्विक विनिर्माण केंद्रों में से एक है। उन्होंने आगे कहा, “पेट्रोकेमिकल उत्पाद हमारे दैनिक जीवन के हिस्से बन गए हैं। आज, भारत व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा दे रहा है, क्योंकि भारत सरकार एक उद्योग-अनुकूल सरकार है। सरकार ने हस्तक्षेप कम किया है और कॉर्पोरेट टैक्स को कम करने, अनुपालन बोझ में कमी लाने तथा नीतिगत बदलाव जैसे विभिन्न उपाय पेश किये हैं। भारत, रसायन और पेट्रोकेमिकल की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में दुनिया का एक विश्वसनीय भागीदार बनने के लिए प्रतिबद्ध है।”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि इतनी बड़ी आबादी वाले भारत में निवेश करने का यह सबसे अच्छा समय है। उन्होंने कहा, ‘भारत खुद निवेश करने के लिए एक बड़ा बाजार है। हम कई देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों के लिए प्रयास कर रहे हैं, भारतीयों की नई तकनीकों को अपनाने की क्षमता, नए उभरते कुशल उद्यमी प्रत्येक वैश्विक भागीदार को नई ऊर्जा दे सकते हैं। पेट्रोकेमिकल की उपलब्धता के प्रमुख मुद्दे के लिए सरकार घरेलू और विदेशी स्रोतों से निवेश आकर्षित करने के लिए नीतियों पर सहजता से काम कर रही है। सरकार ने रसायनों के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना जैसे महत्वपूर्ण आवश्यक बदलाव किए हैं और भारत में कठिन और रणनीतिक रसायनों के मध्यवर्ती निर्माण का भी प्रस्ताव रखा है।“ उन्होंने कहा कि भारत, आसान आयात और निर्यात का अवसर भी प्रदान करता है। यह संयुक्त उद्यमों के लिए विदेशों को लाभ की स्थिति प्रदान करता है।

अमृत काल, यानि अगले 25 वर्षों के लिए सरकार की दीर्घकालिक योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए, डॉ. मनसुख मांडविया ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत सतत विकास पर ध्यान देने के साथ वर्तमान और भविष्य के लिए नीतियां बना रहा है। उन्होंने कहा, “हाल ही में, भारत सरकार ने लोजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए समन्वित योजना और अवसंरचना परियोजनाओं के निष्पादन के उद्देश्य से बहु-मॉडल कनेक्टिविटी योजना के तहत महत्वाकांक्षी गति शक्ति योजना या राष्ट्रीय मास्टर प्लान लॉन्च किया है। यह एक प्रमुख योजना है, जहां पेट्रोकेमिकल उत्पादों का उपयोग किया जाएगा। यह माल, लोगों और सेवाओं की आवाजाही को एक नई गति देगा और निर्बाध संपर्क प्रदान करेगा। पेट्रोकेमिकल उद्योग का भविष्य में विकास ग्राफ काफी बेहतर होने की संभावना है। हम किफायती और बेहतर जीवन-चक्र वाले पेट्रोकेमिकल उत्पाद बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जो कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में भी मदद करेगा।“ उन्होंने आगे सभी हितधारकों को सतत दृष्टिकोण के साथ काम करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “उद्योगों को पुनर्प्राप्ति, पुनरुपयोग और पुनर्चक्रण के मार्ग का अनुसरण करने की आवश्यकता है, जो सतत विकास में मदद करेंगे।”

केन्द्रीय आवास और शहरी कार्य तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे नया, सहनीय और आत्मनिर्भर भारत पेट्रोकेमिकल उद्योग के क्षेत्र में प्रगति कर रहा है।

इस उद्योग सम्मेलन को जापान, कोरिया और ताइवान द्वारा 40 साल पहले 1979 में ईस्ट एशिया पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्री कॉन्फ्रेंस (ईएपीआईसी) के रूप में स्थापित किया गया था। भारत, मलेशिया, सिंगापुर और थाईलैंड को शामिल करने के साथ 2000 में इसे एशिया पेट्रोकेमिकल उद्योग सम्मेलन (एपीआईसी) का नया नाम दिया गया। भागीदार देश संघों द्वारा क्रमिक आधार पर एपीआईसी की वार्षिक रूप से मेजबानी की जाती है।

Comments are closed.