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`डॉ. अभिलक्ष लिखी ने ओडिशा के पुरी के पेंथाकाटा गांव, आईसीएआर-सीआईएफए और एनएफएफबीबी, कौशल्यगंगा का किया दौरा

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भुवनेश्वर ,17अगस्त। भारत सरकार के मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने तटीय क्षेत्र के मछुआरों की जमीनी स्तर की समस्याओं को समझने और उनके लिए दीर्घकालिक योजनाएं तैयार करने के लिए ओडिशा के पुरी जिले के तटीय गांव पेंथाकाटा का दौरा किया। डॉ. लिखी ने पेंथाकाटा में प्राथमिक मछुआरा सहकारी समिति के सदस्यों (पीएफसीएस), मछुआरों और मछुआरा महिलाओं के साथ बातचीत की और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी प्राप्त की। चर्चा के दौरान, मछुआरों ने जाल, नाव आदि की खरीद और डीजल सब्सिडी के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत केंद्र और राज्य सरकार से प्राप्त सहायता पर प्रकाश डाला। पेंथाकाटा के मछुआरों ने मछली लैंडिंग केंद्र/जेट्टी, स्वच्छ सूखी मछली बाजार और मछुआरों के कल्याण से संबंधित गतिविधियों की मांग की। उन्होंने ओडिशा के मत्स्य पालन निदेशक को मछुआरों की मांग पर ध्यान देने और केंद्र और राज्य की योजनाओं के तहत सरकारी सहायता देने की सलाह दी। उन्होंने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत लाभान्वित पुरी जिले के मछुआरों के साथ भी बातचीत की।

डॉ. अभिलक्ष लिखी ने आईसीएआर-सीआईएफए और एनएफडीबी- नेशनल फ्रेश वॉटर फिश ब्रूड बैंक (एनएफएफबीबी), भुवनेश्वर द्वारा की गई गतिविधियों की समीक्षा के लिए आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर (सीआईएफए) कौशल्यगंगा में एक आयोजित बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने ओडिशा राज्य में पीएमएमएसवाई परियोजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की।

आईसीएआर-सीआईएफए के निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार साहू ने आईसीएआर-सीआईएफए की अनुसंधान की गतिविधियों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। डॉ. साहू ने संस्थानों की विभिन्न उपलब्धियों पर प्रकाश डाला,जैसे- आनुवंशिक रूप से बेहतर रोहू और कतला, जीआई-स्कैम्पी, प्रजाति और प्रणाली विविधीकरण, एक्वा कल्चर के क्षेत्र में नई और नवीन प्रौद्योगिकियों, मीठे पानी की मछलियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए चारे का निर्धारण, रोग निदान और उपचार, मछुआरों और कई अन्य हितधारकों के कौशल को बढ़ाने के लिए अनुसंधान और प्रशिक्षण जैसी हाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। डॉ. लिखी ने इस बात पर जोर दिया कि सीआईएफए को मछुआरों के लाभ के लिए आवश्यकता आधारित अनुसंधान करना चाहिए और उन बीमारियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए, जिनके कारण उद्योग को हर साल भारी मात्रा में मछली पैदावार का नुकसान होता है। एनएफडीबी-नेशनल फ्रेशवॉटर फिश ब्रूड बैंक (एनएफएफबीबी) के अधिकारियों ने अपनी गतिविधियां पर आधारित प्रस्तुति दी और ब्रूड बैंक के उद्देश्यों, अब तक की उपलब्धियों और वर्तमान गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि एनएफडीबी-एनएफएफबीबी के पास जीआई मछली उपभेदों (कार्प्स) के ब्रीडर बीज के प्रजनन और उत्पादन के लिए एक गुणन केंद्र और जीआई स्कैम्पी के लिए सीमेंटेड नर्सरी सुविधाएं हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि मछली किसानों के कौशल में सुधार के लिए मछली प्रजनन और बीज उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण किया गया है। डॉ. लिखी ने एनएफडीबी-एनएफएफबीबी को कुछ व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण मछली की किस्मों को विकसित करने की सलाह दी, जिनकी बायोफ्लॉक और आरएएस प्रणालियों में मांग है।

ओडिशा सरकार के मत्स्य पालन निदेशक ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र में ओडिशा की उपलब्धियों पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि मछली उत्पादन, निर्यात, घरेलू खपत आदि बढ़त की ओर अग्रसर हैं। डॉ. लिखी ने सीआईएफए और एनएफएफबीबी की गतिविधियों की समीक्षा करते हुए इस क्षेत्र की प्राथमिकताओं और सरकार तथा अनुसंधान संस्थान की आकांक्षाओं को जानने के लिए निर्यातकों, प्रगतिशील किसानों, महिला स्वयं सहायता समूह (डब्ल्यूएसएचजी) के सदस्यों, फिश फ्रेमर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन (एफएफपीओ) के सदस्यों के साथ भी बातचीत की।

सचिव ने आग्रह किया कि सीआईएफए और एनएफएफबीबी दोनों इस क्षेत्र में सभी हितधारकों की भागीदारी के साथ इलेक्ट्रॉनिक/प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया के साथ-साथ किसान मेलों, प्रकाशनों, सेमिनारों, सलाह के माध्यम से किसानों के बीच व्यापक जागरूकता कायम करें ताकि विकसित तकनीक और सर्वोत्तम प्रबंधन कार्यप्रणाली (बीएमपी) जल्द से जल्द किसानों तक पहुंच सकें और किसान योजनाओं और नई तकनीक का लाभ उठा सकें।

डॉ. लिखी ने आईसीएआर-सीआईएफए की सुविधाओं जैसे बायोफ्लॉक यूनिट, जीआई-स्कैम्पी कॉम्प्लेक्स, सजावटी मछली कॉम्प्लेक्स और वायु-श्वास मछली यूनिट का दौरा किया। उन्होंने एनएफएफबीबी की मल्टीप्लिकेशन सुविधा, स्कैंपी नर्सरी पालन सुविधा का भी दौरा किया और एनएफएफबीबी, कौशल्यागंगा, ओडिशा में विकसित जीआई मछली प्रजातियों को देखा।

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