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केवीआईसी के अध्यक्ष ने तमिलनाडु में केवीआई की विभिन्न गतिविधियों का किया उद्घाटन

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नई दिल्ली, 21अगस्त। केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने तमिलनाडु की यात्रा के दौरान विभिन्न केवीआई की विभिन्न गतिविधियों का उद्घाटन किया और इस यात्रा के दौरान खादी श्रमिकों के साथ बातचीत की। 19 अगस्त को कोयम्बटूर के साउथ इंडिया टैक्सटाइल रिसर्च ऐसोसिएशन (एसआईटीआरए) परिसर में आयोजित खादी कारीगर सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए, उन्होंने पिछले 2 दिनों में तमिल लोगों द्वारा दिए गए सद्भाव और स्नेह के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह आयोजन न केवल खादी कारीगर सम्मेलन है, बल्कि उनके और ग्रामीण कारीगरों के बीच एक हृदयस्पर्शी बातचीत (“मन की बात”) भी है। उन्होंने कहा कि खादी ग्रामोद्योग गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी के खिलाफ एक हथियार के रूप में कार्य करता है, तथापि गांवों में विकास और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में भी योगदान देता है।

केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने सूत कातने में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले स्पिनरों और बुनकरों को प्रमाण पत्र और गति पुरस्कार प्रदान करके सम्मानित किया, इसके अलावा अपशिष्ट काष्ठ कला पर प्रशिक्षण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक पूरा करने वाले लगभग 40 काष्ठ कला कारीगरों को औजार पेटी और उपकरण वितरित किए। इस कार्यक्रम में 800 ग्रामीण कारीगरों ने भाग लिया था। कार्यक्रम के दौरान, केवीआईसी के अध्यक्ष द्वारा प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) लाभार्थियों की सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करने वाली एक पुस्तिका का अनावरण किया गया।`

अपने संबोधन में मनोज कुमार ने कहा कि नीति आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 13.05 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है और लोगों के सपने वास्तविकता में बदल रहे हैं।

मनोज कुमार ने कहा कि खादी, महात्मा गांधी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन का गौरव था, लेकिन अब यह प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के प्रतीक के रूप में है। उन्होंने कहा, ”जैसे कि गांधी जी, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ खादी को एक शक्तिशाली हथियार के रूप में प्रयोग किया, प्रधानमंत्री मोदी ने खादी को गरीबी उन्मूलन, कारीगरों को सशक्त बनाने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, महिलाओं की सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने और बेरोजगारी पर काबू पाने के लिए एक प्रबल और सफल हथियार के रूप में बदल दिया है।

केवीआईसी के अध्यक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों से कई अवसरों पर खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों को खरीदने का आह्वान किया है और इस क्षेत्र की प्रगति को बढ़ावा देने का उल्लेख किया है, जिसमें 2014 के बाद से जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में, खादी के उत्पादन में 260 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि खादी की बिक्री में 450 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में खादी संस्थानों ने वर्ष 2022-23 के दौरान 262.55 करोड़ रुपये का उत्पादन और 466.77 करोड़ रुपये की बिक्री दर्ज की है, जिससे 14,396 कारीगरों को निरंतर रोजगार प्रदान करने में मदद मिली है। इसके अलावा, उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि उत्पादन को 303.39 करोड़ रुपये और बिक्री को 477.02 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने कहा कि खादी विकास योजना, ग्रामोद्योग विकास योजना, प्रधान मंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), स्फूर्ति योजना (एसएफयूआरटीआई) जैसी विभिन्न योजनाओं के माध्यम से केवीआईसी ने 9.5 लाख से अधिक रोजगार सृजित किए हैं।

इससे पूर्व केवीआईसी के अध्यक्ष ने कालापेट में पीएमईजीपी इकाई, डिंडीगुल के गांधीग्राम में गांधीग्राम खादी ग्रामोद्योग पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट परिसर में नव पुनर्निर्मित बिक्री केंद्र और श्रीविल्लीपुथुर के रामनाथपुरम जिला सर्वोदय संघ संस्थान भवन क्षेत्र में नवनिर्मित कार्यशाला में केवीआईसी की केआरडीपी योजना के अंतर्गत सूत रंगने वाली इकाई अपशिष्ट काष्ठ कला के एक सामान्य सुविधा केंद्र (सीएफसी) का उद्घाटन किया। उन्होंने ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत 17 अगस्त 2023 और 18 अगस्त, 2023 को 25 अपशिष्ट काष्ठ कला कारीगरों को औजार पेटी और उपकरण तथा 10 कारीगरों को पेडल द्वारा संचालित अगरबत्ती मशीनों का वितरण किया। केवीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने खादी आर्टिज़न मीट कार्यक्रम के दौरान खादी की कताई के कारीगरों और बुनकरों के साथ बातचीत की और मदुरै जिला सर्वोदय संघ के खादी ग्रामोद्योग भवन का दौरा किया।

प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) मंत्रालय की एक प्रमुख योजना है। भारत सरकार, सूक्ष्म और लघु इकाइयों की स्थापना में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्थायी रोजगार प्रदान करती है। यह योजना आवेदक की सामाजिक श्रेणी और इकाई के स्थान के आधार पर विनिर्माण कार्यकलाप के लिए 50.00 लाख रुपए और सेवा कार्यकलाप के लिए 20.00 लाख रुपए की कुल परियोजना लागत के आधार पर 15 प्रतिशत से 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान करती है।

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