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मानक घरेलू व्यापार एवं निर्यात की आधारशिला हैं, नवोन्मेषण और दक्षता के सूत्रधार हैं जो राष्ट्रीय विकास की दिशा में योगदान देते हैं: पीयूष गोयल

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री ने बीआईएस तकनीकी समिति के सदस्यों के लिए ऑनबोर्डिंग कार्यशाला को किया संबोधित

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नई दिल्ली, 28सितंबर।केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, वस्त्र तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राष्ट्रीय मानकीकरण प्रशिक्षण संस्थान (एनआईटीएस) में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) तकनीकी समिति के सदस्यों के लिए ऑनबोर्डिंग कार्यशाला को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीयूष गोयल ने मानकों के घरेलू व्यापार एवं निर्यात की आधारशिला, नवोन्मेषण के सूत्रधार के रूप में महत्व पर जोर दिया हैं जिससे राष्ट्रीय विकास को योगदान प्राप्त होता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उच्च गुणवत्तापूर्ण मानक भारत को 2047 तक एक विकसित देश बन कर एक राष्ट्र एक महत्वाकांक्षा को अर्जित करने में सहायता करेंगे।

उन्होंने सहभागियों से आग्रह किया कि भारतीय मानकों का निर्माण करने वाले तकनीकी सदस्यों के रूप में उनके कंधों पर यह सुनिश्चित करने की एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि मानकों में निर्वहनीयता के सिद्धांत शामिल हों, वे नकली सामानों के विरुद्ध लड़ाई में सहयोग देते हों और एमएसएमई तथा स्टार्टअप्स को अधिक प्रतिस्पर्धी बनने में सहायता करते हों। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि मानकों को अनिवार्य रूप से मजबूत प्रवर्तन इकोसिस्टम का सृजन करना चाहिए और उन्हें सभी हितधारक समूहों के साथ व्यापक परामर्श के बाद विकसित किया जाना चाहिए। प्रत्येक सदस्य को निश्चित रूप से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय मानक देश में नवीनतम तकनीकी उन्नति को प्रतिबिंबित करें और भारतीय मानक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के बराबर हों। उन्होंने कहा कि केवल तभी भारत विश्व का विनिर्माण हब बनने के अपने विजन को साकार करने में सक्षम होगा और आत्मनिर्भर भारत बनने की महत्वाकांक्षा को अर्जित कर पाएगा।

भारत के राष्ट्रीय मानक निकाय (एनएसबी) के रूप में बीआईएस तकनीकी समितियों में एक परामर्शी तंत्र के माध्यम से भारतीय मानकों को विकसित करता है जो उद्योग, उपभोक्ताओं, शिक्षाविदों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, प्रौद्योगिकीविदों और मंत्रालयों/विनियामकों जैसे सभी प्रासंगिक हितधारकों को एक साथ लाता है। इस प्रकार व्यापक परामर्श और सर्वसम्मति निर्माण की प्रक्रिया के माध्यम से सभी हितधारकों के दृष्टिकोण को ध्यान में रख कर मानक विकसित किए जाते हैं। बीआईएस में मानक विकास की प्रक्रिया खुलेपन, पारदर्शिता, निष्पक्षता और आम सहमति के आधार पर स्वीकृत अंतर्राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं का अुनसरण करती है।

बीआईएस में लगभग 400 स्थायी समितियां हैं जो 16 व्यापक प्रौद्योगिकी क्षेत्रों/सेक्टरों में मानकीकरण का कार्य कर रही हैं जो मुख्य प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के साथ साथ भू-स्थानिक सूचना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉक चेन, ई-मोबिलिटी, अंतरिक्ष अनुसंधान, स्मार्ट विनिर्माण, स्मार्ट कृषि आदि जैसे नए तथा उभरते क्षेत्रों को कवर करती हैं।

तकनीकी समिति के सदस्य यह सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं कि मानकीकरण की प्रक्रिया अच्छी तरह से काम करे। उनका योगदान और सहयोग उच्च गुणवत्तापूर्ण मानकों के सृजन के लिए अनिवार्य है जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करते हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि तकनीकी समितियां प्रकृति में गतिशील हों और जिन विषय क्षेत्रों पर मानक विकसित किए जा रहे हैं, उन पर ध्यान देने के लिए नए सदस्यों को नियमित रूप से जोड़ा जाए। इस प्रकार, बीआईएस नियमित अंतराल पर तकनीकी समितियों की समीक्षा करता है और सिर्फ वित्त वर्ष 2023-24 में ही 500 से अधिक नए सदस्य विभिन्न तकनीकी समितियों में शामिल हुए हैं।

हालांकि ये नए तकनीकी समिति सदस्य अपने विषय क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं, लेकिन उन्हें राष्ट्रीय मानकीकरण के विजन, कार्यक्रमों, प्राथमिकताओं तथा प्रक्रियाओं से परिचित होना आवश्यक होता है। इसके लिए, बीआईएस ने तकनीकी समितियों के नए सदस्यों के साथ औपचारिक बातचीत करने और उन्हें समिति के सदस्य के रूप में उनकी भूमिकाओं और अपेक्षाओं के बारे में संवेदनशील बनाने तथा उन्हें बीआईएस मानकीकरण प्रक्रियाओं के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए ऑनबोर्डिंग कार्यशालाएं आयोजित की हैं। सितंबर और अक्टूबर 2023 में बीआईएस के राष्ट्रीय मानकीकरण प्रशिक्षण संस्थान में ऐसी चार वास्तविक ऑनबोर्डिंग कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। इसके बाद, जब भी वे बीआईएस तकनीकी समितियों में शामिल होंगे, सभी नए सदस्यों के लिए ऐसी ऑनबोर्डिंग कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी।

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