बादशाहपुर, 28 नवम्बर (अजय) : नेचर इंटरनेशनल के अध्यक्ष शरद गोयल कहते है कि पिछले तीन दशकों में विश्व के मानचित्र पर सबसे तेज गति से बढता हुआ शहर गुरुग्राम आज चाहे विश्व स्तरीय शॉपिंग काम्प्लेक्स, मॉल्स और गगनचुम्बी इमारतों के लिए भले ही जाना जाता हो परन्तु सदर बाज़ार गुरुग्राम बहुत सी चीज़ों के लिए दक्षिण हरियाणा का सबसे बड़ा खुदरा व्यापार केंद्र भी है। महेंद्रगढ़, नारनौल, रेवाड़ी, झज्जर, मेवात, पलवल और फरीदाबाद तक से ही नहीं अपितु बहादुरगढ़, नजफगढ़, बिजवासन, महरौली तक के लोग यहाँ पर रोजमर्रा की चीज़ों की खरीदारी के लिए आते है, लेकिन करोड़ों रूपये रोज का व्यापार करके अरबों रूपये साल का टैक्स देने के बाद भी यह सदर बाज़ार सरकार की आखों से औझल है। आज से लगभग 50 साल पहले कमानसराय से शुरू होकर सोहना अड्डा चौक पर खत्म होने वाला यह सदर बाज़ार आज लगभग 5 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फ़ैल गया और हजारों की तादाद में दुकानें इसमें समायोजित हो गई। अब सदर बाज़ार रोशनपुरा, जैकबपुरा, गुरुद्वारा रोड, भुतेश्वर मंदिर और पटौदी चौक से भी आगे तक फ़ैल गया है। यहाँ तक की न्यू रेलवे रोड और ओल्ड रेलवे रोड सदर बाज़ार का हिस्सा बन गए है। इस बाज़ार से लाखों लोगों का जीवन यापन होता है। दुकानदारों के अलावा रेहड़ी वाले, ठेले वाले, इन रेहड़ी ठेलों पर लगने वाली बैटरी की लाइट किराये पर देने वाले, पीने के पानी का जग सप्लाई करने वाले, पूजा के लिए फूल सप्लाई करने वाले, चाट पकोड़ी और खोमचे वाले लगभग 50 हज़ार से अधिक लोगों को यह क्षेत्र रोजगार दे रहा है।
इन सबके बावजूद इस पूरे क्षेत्र के प्रशासन द्वारा जो नजरअंदाजी की जा रही है वो वाक्य ही शर्मिंदा कर देने वाली है। पिछले लगभग दो दशकों में सदर बाज़ार में रेहड़ी और ठेले लगाने वालों का जैसे आतंक सा हो गया है और इसके लिए कोई और नहीं बल्कि स्थानीय दुकानदार ही जिम्मेवार है। क्योंकि दुकानदारों के बच्चों की दुकान में कोई रूचि नहीं है। कारणवश दुकान में धंधा ख़त्म हो गया। उन्होंने दुकान का स्तर बढ़ाने की बजाए उन दुकानों को किराये पर देना आसान समझ लिया और विचारणीय यह है कि दुकानदार जितने रूपये मकान मालिक को बतौर किराया दे रहा है, उसकी कमाई उससे कई गुना कम है। अब विचार करने वाली बात ये है कि वो किसी साजिश के तहत तो ये किराया नहीं दे रहे है। अब आहिस्ता-आहिस्ता करके इन रेहड़ी, ठेले वालों ने एक माफिया का रूप ले लिया है जो पूरी तरह से प्रशासन पर हावी है। समय-समय पर सदर बाज़ार में दुकानदारों, ग्राहकों व रेहड़ी वालों के बीच तनाव व झगड़े की खबरे आती रहती है। परन्तु प्रशासन मूकदर्शक बना देखता रहता है। मुझे याद है आज से कुछ वर्षों पूर्व नगर निगम गुरुग्राम में आयुक्त पद पर एक अधिकारी प्रवीन कुमार नियुक्त हुए थे। जिन्होंने सदर बाज़ार गुडगाँव को अतिक्रमणमुक्त बनाने का बीड़ा उठाया था और कामंसरॉय से भुतेश्वर मंदिर चौक तक दोनों तरफ अतिक्रमण समाप्त करने का कार्य शुरू किया था। किन्तु दुर्भाग्यवश राजनीतिक कार्य को नही कर पाए। तदोपरांत आज तक किसी भी अधिकारी ने सदर बाज़ार का दौरा करने की भी जहमत नहीं उठाई। स्थिति दिन-प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है। हजारों आदमी किसी भी समय इस बाज़ार में होते है। किन्तु पुलिस का कोई भी व्यक्ति कभी बाज़ार में दिखाई नहीं देता।
सदर बाज़ार को आवश्यकता है कि चांदनी चौक की तर्ज पर सुंदर बनाया जाए। दोनों तरफ अतिक्रमण जोकि लगभग कहीं-कहीं तो जोकि 15 से 20 फुट है उसको हटाया जाए। सफाई अवस्था का ध्यान रखा जाए। जगह- जगह पर सार्वजानिक शौचालयों का निर्माण किया जाए। पूर्ण रूप से रेहड़ी मुक्त किया जाए। सुंदर लाइट व बैंच लगाए जाए। बाज़ार के आस-पास डाकघर के पीछे व सोहना चौक के पास बहुमंजिली कार पार्किंग व्यवस्था हो। पूरे सदर बाज़ार में अग्नि संकट को रोकने के लिए फायर हाईड्रेन्ट लगाए जाए जिससे की आग लगने की स्थिति में फायर ब्रिगेड को जाना ही ना पड़े। रामलीला ग्राउंड में फायर हाईड्रेन्ट को जोड़कर कही पर भी आग की स्थिति पर काबू पाया जा सके । अतीत में कई बार ऐसा हुआ है कि सदर बाज़ार में आग लगने की घटना में फायर ब्रिगेड की गाड़ी पहुँच ही नहीं पाई और भारी नुकसान हुआ। सबसे पहले जरुरी है कि बाज़ार को अतिक्रमण और रेहड़ी मुक्त बनाना। बाज़ार में सफाई की व्यवस्था कुख्ता हो और पुलिस पेट्रोलिंग व पुलिस की प्रेजेंस बाज़ार में अत्यंत आवश्यक है। थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सीसीटीवी कैमरे हो जो काम भी करते हो और अन्य बहुत से कार्य सदर बाज़ार गुरुग्राम के सौंदर्यकरण के लिए करने चाहिए। व्यापारियों का विरोध ही क्यों न प्रशासन को झेलना पड़े। गुरुग्राम का सदर बाज़ार पूरे हरियाणा का सबसे खूबसूरत बाज़ार बन सकता है अगर इसमें इस प्रकार से कार्य किये गये हो तो। अन्यथा जिस प्रकार सदर बाज़ार गुरुग्राम की वर्तमान स्थिति है उससे वो दिन दूर नहीं। जब यह बाज़ार पूरे प्रशासन के लिए कानून व्यवस्था के दृष्टिकोण से नासूर बन जाएगा।
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