गुरुग्राम, 4 जुलाई (ब्यूरो) : बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से पिछले दो विधानसभा 2014 और 2019 के चुनावों में भाजपा ने हर बार अलग चेहरा मैदान में टिकट देकर उतारा है। एक बार भाजपा को जीत मिली तो दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा। इस बार बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय नजर आ रहे कमल यादव की सांठ-गांठ अंदर खाने भाजपा के साथ कुछ न कुछ खिचड़ी जरुर पक रही है। लोगों का कहना है कि पिछले दो विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पटौदी, सोहना, बादशाहपुर और गुरुग्राम से हर बार चेहरा बदलने की पोलिसी कायम रखी तो इस बार कमल यादव भाजपा का चेहरा हो सकते हैं, हालाकि कई और नेताओं के नाम भी पैनल में चलने की बातें सामने आ रही है। लोगों का कहना है कि कमल की सक्रियता और भाजपा के साथ उनकी नजदीकी से इस संभावना को और बल मिलता दिखाई पड़ रहा है। कमल यादव का नाम इस बार के चुनावी दौर में काफी चर्चा में है। उनकी जनसंपर्क और सामाजिक कार्यों में सक्रियता ने जनता के बीच उन्हें एक प्रभावशाली उम्मीदवार के रूप में स्थापित कर दिया है। लोगों में इस बात की भी चर्चा है कि भाजपा के भीतर भी यादव के नाम पर सहमति बनती दिख रही है, जिससे यह संकेत मिलता है कि पार्टी इस बार नए चेहरे के रूप में उन्हें मैदान में उतार सकती है। हालाकि इस बार बादशाहपुर विधानसभा क्षेत्र से काफी कदावर नेता विधानसभा चुनाव में टिकट मांग रहे है, यह आने वाला वक्त ही बतायेगा कि पार्टी किसे टिकट देकर मैदान में उतारती है, लेकिन भाजपा की नीति हर चुनाव में नए चेहरे को मौका देने की अभी तक दिखाई दे रही है, जिससे पार्टी में नई ऊर्जा और ताजगी बनी रहती है। पटौदी, सोहना, बादशाहपुर, और गुरुग्राम जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में चेहरा बदलने की यह रणनीति एक जगह छोड़कर सफल भी रही है। इस बात की भी चर्चा है कि कमल यादव की स्थानीय पहचान और जनाधार को देखते हुए, भाजपा उन्हें इस बार उम्मीदवार बना सकती है। इससे पार्टी को न केवल चुनावी बढ़त मिलेगी, बल्कि स्थानीय मुद्दों पर भी मजबूती से काम करने का अवसर मिलेगा। अब देखना यह होगा कि भाजपा किस प्रकार से चुनावी अभियान को आगे बढ़ाती है। लोगों की नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या इस बार भी भाजपा की चेहरा बदलने की रणनीति कामयाब होगी या नहीं।
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