बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इजरायल दौरे के दौरान 10 हेरोन टीपी ड्रोन को लेकर अहम डील होगी। हेरोन टीपी ड्रोन हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल से लैस हैं। इनकी तुलना अमेरिका के प्रिडेटर और रीपर ड्रोन से की जाती है। यह लगातार 30 घंटे तक उड़ने में सक्षम है। यह खुफिया जानकारी इकट्ठा कर सकता है। यह हवा से ही आतंकी ठिकानों को पहचान सकता है, निशाना लगा सकता है और ध्वस्त कर सकता है।
हेरोन टीपी ड्रोन एक टन वजन उठाकर 45 हजार फीट की ऊंचाई तक किसी भी मौसम में उड़ान भर सकता है। यह पूरी तरह ऑटोमेटिक है। इसे कंट्रोल रूम में बैठा एक ऑपरेटर भी नियंत्रित कर सकता है। किसी पायलट की जरूरत नहीं पड़ती।
भारत के पास उपलब्ध गैरहथियार वाले ड्रोन सिर्फ टारगेट पहचाते हैं और जब तक निशाना लगाया जाता है टारगेट गायब हो जाता है। हेरोन ड्रोन मिलने से हाथोहाथ निशाना लगाया जा सकेगा। ये ड्रोन मिलने से भारत को पाकिस्तान और चीन से लगती सीमा पर निगरानी के लिए अचूक हथियार मिल जाएगा।
घरेलू कंप्यूटर उपयोग के मामले में इजरायल दुनिया में अव्वल है। दुनिया में पहला फोन मोटोरोला ने यहीं बनाया था। माइक्रोसॉफ्ट के लिए पहला पेंटियम चिप भी यहीं बना था। पहली वॉइस मेल तकनीक इजरायल में ही विकसित की गई थी। अमेरिका की सिलिकॉन वैली की तर्ज पर अरबी में इसे सिलिकॉन वादी कहा जाता है। यहां 3500 से ज्यादा हाईटेक कंपनियां हैं, जो दुनिया में सिलिकॉन वैली के बाद दूसरे नंबर पर आती हैं। वॉरेन बफेट कहते हैं अमेरिका के बाहर निवेश के लिए सबसे अच्छा हब इसराइल है।
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