PBK News, 12 जुलाई (अजय) : किसी भी आतंकवाद के खिलाफ हुई कार्यवाही के तुरंतबाद यह सोच लेना कि आतंकवाद खत्म हो चूका है तो यह जल्दबाजी तो नही है उक्त बातें पूर्व मंत्री राव धर्मपाल ने बोलते हुए कही उन्होंने प्रमुख बताते हुए कहा कि आतंकवाद की जड़े इतनी मजबूत हो चुकी है कि इसे खत्म करने के लिए अंतराष्टीय स्तर पर मांग करते हुए सभी देशों को एक साथ लेते हुए आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के खिलाफ कार्यवाही की मांग करनी होगी इस अभियान को लगातार जारी रखना होगा जिसके बाद ही इस पर कोई कामयाबी हासिल हो सकेगी
इसके बावजूद अभी उत्सव मनाना शायद जल्दबाजी हो सकती है। इसलिए कि वे परिस्थितियां अभी भी कायम हैं, जिनकी वजह से आईएस का उभार हुआ। 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के पहले शिया बहुल इराक पर सुन्न्ी शासन था। सद्दाम हुसैन को अपदस्थ करने के बाद वहां शिया शासक गद्दीनशीं हुए। सीरिया में शिया अलावी पंथ का शासन है। जबकि इराक से सीरिया तक करीब ढाई करोड़ सुन्न्ी रहते हैं।
सुन्न्ी समुदाय में शिया शासकों के प्रति असंतोष एक प्रमुख पहलू था, जिसकी वजह से आईएस को उस क्षेत्र में स्थानीय सुन्न्ी आबादी का समर्थन मिला। नतीजतन, मोसुल के आसपास और सीरिया के एक हिस्से को आईएस ने अपना ऐसा अड्डा बना लिया, जहां विश्व भर से असंतुष्ट सुन्न्ी मुस्लिम नौजवानों को इकट्ठा करके वह उन्हें प्रशिक्षण देता था। हमला करने जाने के पहले ऐसे दहशतगर्दों को वहां पनाह मिलती थी। आईएस के परास्त होने के बाद अब ऐसा होना संभव नहीं होगा। लेकिन इराक और सीरिया में सुन्न्ी आबादी का असंतोष कायम है। वहां शिया-सुन्न्ी टकराव के हालात अब भी बने हुए हैं। इराक सरकार ने सैन्य जीत के बाद वहां की सुन्न्ी आबादी का भरोसा जीतने के प्रयास नहीं किए, तो फिलहाल मिली बड़ी जीत महज फौरी साबित हो सकती है।
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