नई दिल्ली: निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा की जल्द रिलीज होने वाली फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ को लंबे समय तक सेंसर बोर्ड से भारत में रिलीज होने की मंजूरी का इंतजार करना पड़ा. कानूनी दखल के बाद यह फिल्म भारत में रिलीज तो हो रही है लेकिन प्रकाश झा सेंसर बोर्ड के इस रवैये से खासे निराश हैं. उनका कहना है कि वह पहलाज निहलानी के खिलाफ नहीं हैं लेकिन सेंसर बोर्ड के प्रमुख एक गहरे तक जड़ें जमाए बैठी विचारधारा के अनुयायी की तरह काम कर रहे हैं. 65 वर्षीय फिल्म निर्माता ने कहा कि सेंसर बोर्ड फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) फिल्मों में चीजों को सेंसर करने वाला नहीं है बल्कि वह प्रमाण पत्र देता है. अलंकृता श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित यह फिल्म 21 जुलाई को भारत में रिलीज हो रही है.
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के अनुसार प्रकाश झा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं पहलाज निहलानी के खिलाफ नहीं हूं. वह एक खास नजरिए से काम कर रहे हैं. काफी समय से मैं सेंसर बोर्ड को हटाने की मांग कर रहा हूं, इसकी जरूरत नहीं है. उन्हें सिर्फ फिल्मों का प्रमाण पत्र देना चाहिए.’ प्रकाश झा राजधानी में अपनी आने वाली फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ का प्रचार करने आये थे. बोर्ड के साथ झा के खट्टे-मीठे रिश्ते रहे हैं. उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं की रचनात्मक स्वतंत्रता को कम करता है.
‘लिपस्टिक अंडर माई बुर्का’ फिल्म में रत्ना पाठक शाह, कोंकणा सेन शर्मा, आहाना कुमरा, पलबिता बोरथकुर, सुशांत सिंह और विक्रांत मैसी मुख्य भूमिका में हैं. एक्ट्रेस रत्ना पाठक शाह ने पीटीआई को एक इंटरव्यू के दौरान कहा, ‘हमारी फिल्म क्रांति नहीं है, यह बगावत नहीं है. हम महज शुरूआत कर रहे हैं. अगर यह क्रांति बनती है तो यह बाद में होगी. मुझे उम्मीद है कि अशिष्ट तरीके में यह विध्वंसकारी क्रांति नहीं होगी.’ उन्होंने कहा, ‘बदलाव एक दिन में नहीं होता और यह किसी के लिए भी आसान नहीं होता, चाहे महि
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