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भारत-चीन टकराव के बीच राष्ट्रपति चिनफिंग से मिलेंगे अजीत डोभाल

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PBK NEWS | बीजिंग । सिक्किम को लेकर टकराव के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल शुक्रवार को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मिलेंगे। डोभाल ब्रिक्स देशों की सर्वोच्च सुरक्षा अधिकारियों की बैठक में शामिल होने के लिये चीन पहुंच गये हैं।

चीन के अधिकारियों ने बुधवार को इस बात की पुष्टि की कि अजीत डोभाल ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका (ब्रिक्स) नेताओं की बैठक में शामिल होने के बीच चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात करेंगे। चिनफिंग से बातचीत के अलावा, डोभाल चीनी सरकार के सर्वोच्च काउंसलर यांग जेयची से भी सिक्किम के डोकलाम सेक्टर में भारत-चीन सेना के बीच टकराव के समाधान पर भी बात कर सकते हैं। डोभाल और यांग भारत-चीन सीमा पर वार्ता प्रणाली के विशेष प्रतिनिधि हैं। चीन मौजूदा समय में ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रहा है। इसीलिये पांच सदस्यीय समूह की बैठक सितंबर में जियामेन शहर में होगी।

हालांकि डोभाल के चीन दौरे की पूर्वसंध्या पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने दो टूक कह दिया कि डोकलाम मुद्दे पर तब तक कोई बात नहीं हो सकती जब तक भारत उस जगह से पीछे नहीं हट जाता।

उल्लेखनीय है कि डोकलाम चीन, भारत और भूटान का साझा प्वाइंट है। लेकिन डोकलाम पड़ोसी मुल्क भूटान के हिस्से में आता है, जहां अब चीन ने सड़के बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इस बात का भूटान ने कड़ा विरोध किया है। भारत ने भी भूटान का समर्थन करते हुए इस पर कड़ा ऐतराज जताया है क्योंकि चीन का ऐसा करना भारत के लिए भी बड़ा खतरा है। लिहाजा, जून में भारतीय सेना ने चीनी सैन्य बलों द्वारा किये जा रहे सड़क निर्माण का काम रोक दिया था। तब से भारत और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

भारत का पक्ष लेने पर अमेरिका पर बिफरा चीनी मीडिया

चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने अपनी ताजा लेख में अमेरिका पर आरोप लगाया है कि वह भारत और चीन के विवाद को बढ़ा रहा है। ‘दक्षिण चीन सागर’ मामले की तर्ज पर ही वह इस मामले को अपने फायदे के लिए तूल दे रहा है। भारत और चीन के बीच इस विवाद के पांच हफ्ते बीतने के बाद कुछ अन्य देश इससे जुड़ कर फायदा उठाना चाहते हैं। लेख में कहा गया है कि अब तक ट्रंप प्रशासन ने भारत-अमेरिका संबंधों पर कम ही तवज्जो दी है। बल्कि आव्रजन और व्यापार को लेकर कई मतभेद भी कायम हैं। अगर अमेरिकियों को लगता है कि वह दक्षिण चीन सागर वाली चाल चलकर कोई फायदा उठा लेंगे तो वह गलत हैं।

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