PBK NEWS | नई दिल्ली। नोटबंदी से 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोट कितने वापस आए, यह जानने के लिए अभी आपको और इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल, रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के पास नोट गिनने और नकली नोट छांटने वाली मशीनें नहीं हैं। आरबीआइ ने ऐसी मशीनें लीज पर लेने के लिए टेंडर भी जारी किया है। अभी तक कोई सप्लायर ये मशीनें मुहैया कराने को आगे नहीं आया है। यही वजह है कि केंद्रीय बैंक बार-बार इस टेंडर की तारीख आगे बढ़ा रहा है।
दरअसल आरबीआइ नोट गिनने और नकली नोट छांटने के लिए जिस मशीन का इस्तेमाल करता है, उसका नाम करेंसी वेरिफिकेशन एंड प्रोसेसिंग सिस्टम (सीवीपीएस) है। आरबीआइ को ऐसी सीवीपीएस मशीन की जरूरत है जो एक सेकेंड में कम से कम 30 नोटों की गिनती करे और उनमें से नकली या कटे-फटे नोटों है को छांटकर अलग कर दे। भारतीय रिजर्व बैंक ने 18 सीवीपीएस मशीनें खरीदने के लिए 12 मई, 2017 को ग्लोबल टेंडर जारी किया था। इसकी अंतिम तिथि दो जून थी।
हालांकि जब रिजर्व बैंक के मानकों के अनुरूप सप्लायर नहीं आए तो अंतिम तिथि को बढ़ाकर 16 जून किया गया। इसके बाद आरबीआइ ने आखिरकार यह टेंडर रद कर दिया। इसकी जगह 22 जुलाई को नया टेंडर जारी किया गया है। इसकी अंतिम तिथि सात अगस्त रखी गई है। दैनिक जागरण ने आरबीआइ की प्रवक्ता के पास ईमेल भेजकर इस बारे में आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया जाननी चाही, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ। 112 जुलाई को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और डिप्टी गवर्नर ने संसद की वित्त संबंधी समिति के सामने पेश हुए थे।
इस दौरान उन्होंने सूचित किया था कि रिजर्व बैंक 66 मशीनें लगाकर नोटबंदी के दौरान जमा हुए पुराने नोटों की जांच कर रहा है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनमें जाली नोट कितने थे। यह काम पूरा होने के बाद ही केंद्रीय बैंक बता पाएगा कि नोटबंदी से कितने नोट सिस्टम में वापस आए। उनका यह भी कहना था कि आरबीआइ ने और मशीनें लीज पर लेने के लिए भी टेंडर निकाला है। इसलिए नोटबंदी के दौरान जमा हुए नोटों की संख्या बताने में वक्त लग सकता है।
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