PBK NEWS | नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन सिर्फ वैश्विक औसत तापमान ही नहीं बढ़ा रहा। बल्कि यह किसानों की जिंदगी भी लील रहा है। अमेरिका के बर्कले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के शोधकर्ताओं के मुताबिक भारत में पिछले तीन दशक में 59 हजार किसानों की खुदकशी में कहीं न कहीं जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार रहा। इससे मौसम चक्र बिगड़ा और कम वर्षा व अधिक तापमान से फसलों को नुकसान हुआ।
इस क्षति के दबाव में ही किसानों ने खुदकशी की। शोधकर्ताओं ने प्रत्येक राज्य में 1967 से 2013 के बीच जलवायु परिवर्तन, फसल उत्पादन, मौसम और किसानों की खुदकशी के आंकड़े राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो से जुटाए। यह अध्ययन जून से सितंबर तक मानसून सीजन के दौरान तापमान और वर्षा पर भी हुआ। यह शोध प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
चौंकाने वाले नतीजे
बुवाई के सीजन में प्रतिदिन औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस में एक डिग्री सेल्सियस की भी बढ़ोतरी होने पर देश में खुदकशी के 65 मामले सामने आए। साथ ही पांच डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने पर यह आंकड़ा भी पांच गुना बढ़ गया। बुवाई के दिनों की अपेक्षा अन्य दिनों में जब कम फसलों की बुवाई हुई, तब तापमान में वृद्धि और वर्षा में कमी के कारण खुदकशी की घटनाएं कम हुई। ऐसे में शोधकर्ताओं का दावा है कि तापमान वृद्धि से कृषि क्षेत्र पर दबाव बढ़ने से खुदकशी होती हैं, जो अमूमन किसान करते हैं।
स्थिति चिंताजनक
देश में 1980 के बाद से खुदकशी के मामलों में दोगुना वृद्धि हुई है। इस दौरान सालाना 1.30 लाख लोगों ने खुदकशी की। सिर्फ 2015 में ही देश में 12,600 किसानों और कृषि श्रमिकों ने खुदकशी की। यह आंकड़ा खुदकशी के कुल मामलों का दस फीसद है। इनमें से 60 फीसद मामले बैंक या अन्य कर्ज के तले दबे होने से हुए।
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