PBK NEWS | नई दिल्ली। भारत-चीन-भूटान सीमा पर डोकलाम में जारी तनाव के बीच चीनी विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि भारतीय सेना को पीछे हटाने के लिए चीन सैन्य कार्रवाई कर सकता है। स्थानीय मीडिया में इन एक्सपर्ट के हवाले से कहा गया है कि चीन भारतीय सेना की तैनाती को बहुत दिनों तक बर्दाश्त नहीं करेगा। वह दो हफ्तों के अंदर छोटे स्तर का सैन्य ऑपरेशन चलाने की तैयारी कर रहा है।
चीन में इंस्टिट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन्स ऑफ द शंघाई अकादमी ऑफ सोशल साइंसेस के रिसर्च फेलो हू जियोंग के मुताबिक डोकलाम में भारतीय सेना की तैनाती को लेकर चीन में हर दिन हलचल बढ़ती जा रही है। शुक्रवार को भी वहां छह मंत्रालयों व सेना से जुड़े संस्थानों की हाईलेवल मीटिंग हुई।
चीन भारत से कह चुका है कि वह अपनी सेना पीछे हटाए, लेकिन भारत कह रहा है कि वह अपनी जमीन पर खड़ा है, इसलिए सेना पीछे हटाने का सवाल नहीं। चीन यह आरोप भी लगा रहा है कि भारत, भूटान के बहाने चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
…तो भारत के साथ खड़ा होगा अमेरिका
इस बीच अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार मेघनाद देसाई का मानना है कि भारत के साथ अमेरिका और चीन के संबंध इस समय बेहद विस्फोटक स्थिति में हैं। उनका कहना है कि डोकलाम में जारी तनाव का भविष्य काफी हद तक दक्षिण चीन सागर की घटनाओं पर निर्भर है।
ब्रिटेन के उच्च सदन हाउस ऑफ लार्ड्स के सदस्य मेघनाद ने एक साक्षात्कार में कहा कि अगर दोनों जगहों पर युद्ध शुरू हुआ तो अमेरिका और भारत एक तरफ और चीन दूसरी तरफ होगा। वह कहते हैं कि डोकलाम में तनातनी ही भारत-चीन के बीच तनाव की एक मात्र वजह नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में जारी भू-राजनीतिक तनाव इसकी वजह है खासतौर पर दक्षिण चीन सागर।
उनका कहना है, “आज कोई भी यह नहीं सोच सकता कि डोकलाम का मसला विस्फोटक रूप ले लेगा। लेकिन, एक महीने के अंदर चीन के साथ पूर्ण युद्ध हो सकता है। उस समय यह नियंत्रण से बाहर होगा। यह अचानक शुरू हो सकता है, लेकिन तब भारत (विभिन्न देशों के साथ) का रक्षा सहयोग काम आएगा।”
मेघनाद का यह भी मानना है कि यह युद्ध सिर्फ डोकलाम में नहीं बल्कि कई मोर्चों पर एक साथ लड़ा जाएगा। वह कहते हैं कि चीन उत्तरी हिमालय के सभी स्थानों पर लड़ाई लड़ेगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या युद्ध की स्थिति में अमेरिका भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होगा तो उन्होंने कहा, निश्चित तौर पर।
उन्होंने कहा, यह समझना होगा कि अमेरिका की सहायता और समर्थन के बिना भारत चीन के समक्ष खड़ा नहीं हो सकता और अमेरिका भी भारत की मदद के बिना चीन के समक्ष खड़ा नहीं हो सकता। दोनों देशों के बीच संबंधों में यही समानता है।
भारत की रक्षा तैयारियों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि चीन के साथ युद्ध काफी कठिन और लंबा होगा। लिहाजा, भारत को चीनी सेना की तुलना पाकिस्तानी सेना से करने की भूल नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “पिछले अनुभवों से मुझे लगता है कि हम हमेशा यह मान लेते हैं कि हम पूरी तरह तैयार हैं, लेकिन आपकी लड़ाई दुनिया की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक से हो रही होगी।
यह बेहद शक्तिशाली सेना है और मुझे लगता है कि उन्हें पर्वतीय युद्ध का भी प्रशिक्षण दिया गया है। इसलिए मुझे लगता है कि यह भारत के लिए बेहद कठिन लड़ाई होगी।”
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