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मुगलसराय में मिला था पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव

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PBK NEWS | चंदौली (मुगलसराय)। एकात्म मानववाद व अंत्योदय के प्रणेता तत्कालीन भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर एक के पश्चिमी छोर पर एक खंभे के पास मिला था। एक झोला भी था जिसमें एक पैजामा, कुर्ता, अंडरवियर, बनियान, एक चादर, छोटी तकिया, खाकी हाफ पैंट, सफेद शर्ट व काली टोपी थी।

तत्कालीन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नगर संघ चालक गुरुबख्श कपाही ने उनके शव की शिनाख्त की थी। उस समय के जानकार बताते हैं कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय लखनऊ से पटना के लिए यात्रा कर रहे थे। उस समय जांच पड़ताल के बाद जो बात सामने आई थी उसमें यह बताया गया था कि चोरों के एक गिरोह ने जनरल बोगी में लूटपाट के बाद उन्हें नीचे धकेल दिया था। पुलिस ने बाद में उस गिरोह के दो शातिरों को गिरफ्तार भी किया था। उन पर तीन साल मुकदमा चला। बाद में उन्हें पंडित जी की मौत का जिम्मेदार माना गया और चार-चार साल की जेल हुई। पुलिस को उनका शव वहां पर लावारिस हालत में मिला था। शव जीआरपी थाना के बाहर पड़ा था। उस समय रेलवे के कर्मचारी वृंद्धावन चंद्र दत्ता ने जब उनके झोले में खाकी हाफ पैंट व सफेद शर्ट देखी, उन्होंने कहा कि यह तो आरएसएस वाले हैं।

उन्होंने तुरंत एक कर्मचारी को गुरुबख्श कपाही को लाने के लिए भेजा। गुरुबख्श कपाही जब वहां पहुंचे तो शव देख रोने लगे। उन्होंने ही बताया कि ये तो अपने दीनदयाल जी हैं। इसके बाद उन्होंने वाराणसी संघ कार्यालय को सूचित किया। वाराणसी से संघ के लोग यहां आए। कपाही जी ने ही जीआरपी में तहरीर दी और मुकदमा दर्ज कराया। इसके बाद पंचनामा के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए वाराणसी ले जाया गया। उस शव को पोस्टमार्टम के बाद लखनऊ ले जाया गया।

संघ परिवार के लोग आज तक यह मानने को तैयार नहीं कि पंडित जी की मौत के जिम्मेदार चोर थे। संघ के लोगों का कहना है कि पं. दीनदयाल उपाध्याय की साजिशन राजनीतिक हत्या हुई थी।

अटल जी ने सदन में किया था इस घटना का उल्लेख 

पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सदन में उनके निधन का उल्लेख किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि संघ के नगर संघ चालक गुरुबख्श कपाही ने ही पंडित दीनदयाल उपाध्याय के शव की शिनाख्त की थी। इस घटना का जिक्र करते हुए कपाही जी के पुत्र सुरेश कपाही ने बताया कि उनके पिताजी अक्सर उक्त घटना का जिक्र किया करते थे।

दीनदयाल जी के साथ आंदोलनों में साथी थे कपाही जी : सुशीला 

गुरुबख्श कपाही की पत्नी सुशीला रानी बताती हैं कि उनके पति गुरुबख्श कपाही पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के साथ पहले कई आंदोलनों में साथ साथ जेल गए थे। उन लोगों में आत्मीयता थी। दीनदयाल जी के नाम पर वो प्रसन्न हो जाते थे। अक्सर दीनदयाल जी के किस्से सुनाते थे। बताते थे कि दीनदयाल जी बहुत सादगीपूर्ण ढंग से रहते थे। एक बार तो वे घर भी आए थे। उस समय उन्होंने बहुत कुछ कहा, हालांकि मुझे याद नहीं है अब। दूरदर्शन पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई थी जिसमें कपाही जी का साक्षात्कार भी शामिल था।

अटल जी ने टेलीफोन पर कपाही जी से ली थी जानकारी 

गुरुबख्श कपाही के बड़े पुत्र सुरेश कपाही बताते हैं कि जब उनकी उम्र 14 वर्ष थी। दोपहर में अचानक हाथ में बैग लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय पैदल ही दुकान पर आ गए। पिताजी दुकान पर बैठे थे। दीनदयाल जी को सामने देख वे इतने भावविभोर हो गए जैसे भगवान आ गए हों। इसके बाद उन्हें घर ले गए। बताया कि दीनदयाल जी के निधन के बाद उनपर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई गई थी, जो दूरदर्शन पर प्रसारित की गई थी। अटल जी ने टेलीफोन पर कपाही जी से घटना की जानकारी ली और उसे सदन में उठाया।

1970 से ही संघ कहता है दीनदयाल नगर

दीनदयाल जी के 1968 में निधन के बाद लगभग 1970 से ही संघ परिवार में आम बोलचाल में मुगलसराय नगर को दीनदयाल नगर कहा जाने लगा। यहां तक कि संघ परिवार में आपस में होने वाले पत्रचारों में, आमंत्रण पत्रों में, भारतीय नववर्ष के कार्ड में, पंचांग में व अन्य स्थानों पर भी दीनदयाल नगर ही लिखा जाता है। कुछ मामलों में कोष्ठक में मुगलसराय जरूर लिख दिया जाता है ताकि लोग समझ सकें। लंबे अर्से से संघ परिवार के लोगों की मांग थी कि मुगलसराय शहर व जंक्शन का नाम बदलकर दीनदयाल नगर किया जाए।

कल्याण सिंह ने की थी जबानी घोषणा

तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की 1992 में एक जनसभा इंडियन एयर गैसेस के सामने हुई थी। उस समय जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने मुगलसराय का नाम दीनदयाल नगर करने घोषणा की थी। लोगों को उम्मीद थी कि शहर व जंक्शन दोनों का नाम अब बदल जाएगा। केंद्र में भाजपा की सरकार भी आई, पर सरकार कई दलों को मिलाकर बनी थी। इसलिए इस प्रस्ताव पर मजबूती से विचार नहीं हो सका। अब जब केंद्र व प्रदेश दोनों में बहुमत की सरकार है तो मांग को जोर पकड़ना स्वाभाविक था और सूबे की सरकार को भी फैसला लेना ही पड़ा।

भाजपा सरकार बनने से तेज हुए प्रयास

मौजूदा सांसद डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय और भाजपा के नेताओं ने संसद और सरकार के कई मंत्रालयों में मामले को बार बार उठाया था और गृहमंत्रालय ने राज्य सरकार को इसके लिए पत्र भी लिखा था। इसके साथ साथ सांसद डॉ. महेन्द्र नाथ पांडेय ने सपा सरकार व भाजपा सरकार के दोनों मुख्यमंत्रियों से भी मुलाकात करके नाम बदलने की कवायद की थी

6 जून को पूरा हुआ संघ का सपना

उत्तर प्रदेश की कैबिनेट ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मशती वर्ष के तमाम आयोजनों के साथ साथ मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखने की मुहर लगा दी।

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